Site icon Hindi Dynamite News

UP STF की बड़ी कामयाबी: आधार कार्ड और फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले गैंग का भंडाफोड़, जानें कैसे करते थे काला धंधा

अलीगढ़ में एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी वेबसाइटों के माध्यम से प्रमाण पत्र और आधार कार्ड बनाने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से स्कैनर, लैपटॉप, प्रिंटर, मोबाइल और दर्जनों फर्जी आधार कार्ड बरामद हुए। आरोपी देशभर के कई राज्यों में काम कर रहे थे।
Post Published By: Asmita Patel
Published:
UP STF की बड़ी कामयाबी: आधार कार्ड और फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले गैंग का भंडाफोड़, जानें कैसे करते थे काला धंधा

Lucknow: उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी वेबसाइटों के माध्यम से जाति, आय, निवास, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर आधार कार्ड तैयार करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को जनपद अलीगढ़ से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों के नाम नईमुद्दीन पुत्र फईमुद्दीन और साजिद हुसैन पुत्र सलीम अहमद हैं। दोनों जीवनगढ़ गली नंबर 12 थाना क्वार्सी अलीगढ़ के निवासी हैं।

पुलिस ने दोनों को जेल भेजा

एसटीएफ को पिछले कुछ महीनों से सूचना मिल रही थी कि कुछ संगठित गिरोह फर्जी वेबसाइटों का इस्तेमाल कर सरकारी प्रमाण पत्र और आधार कार्ड बनाने का धंधा कर रहे हैं। इन सूचनाओं के आधार पर पुलिस उपाधीक्षक प्रमेश कुमार शुक्ल के पर्यवेक्षण में एसटीएफ की टीम ने अभिसूचना संकलन शुरू किया। उपनिरीक्षक चन्द्र प्रकाश मिश्र के नेतृत्व में एसटीएफ की टीम ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से 5 नवम्बर की रात जीवनगढ़ इलाके में छापा मारा और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

हापुड़ की यूट्यूबर वंशिका बनी अपने मां-बाप की दुश्मन, इतनी सी बात के लिए परिजनों को पीटा

बदमाशों के कब्जे से क्या-क्या मिला?

गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में उपकरण और दस्तावेज़ बरामद किए। इनमें 88 फर्जी आधार कार्ड, दो फिंगर प्रिंट स्कैनर, तीन आईरिस स्कैनर, पांच फर्जी मोहरें, चार लैपटॉप, एक डेस्कटॉप, तीन प्रिंटर, कई कीबोर्ड-माउस, दो मोबाइल फोन और 2300 रुपये नकद शामिल हैं।

कैसे की ठगी शुरू

पूछताछ में साजिद ने बताया कि वह 2016-17 में “टेक स्मार्ट” नामक कंपनी में अधिकृत आधार कार्ड ऑपरेटर था। 2020 में जब बैंक और पोस्ट ऑफिस के ज़रिए आधार कार्ड बनना शुरू हुआ तो उसकी कंपनी का काम बंद हो गया। इसके बाद उसने जन सुविधा केंद्र खोलकर प्रमाण पत्रों की डेटा फीडिंग शुरू की। इसी दौरान उसकी पहचान गुजरात के एक अधिकृत ऑपरेटर प्रशांत से हुई, जिसने उसे आधार सॉफ्टवेयर का रिमोट एक्सेस दिलवाया।

कितने रुपये वसूलता था आरोपी

इसके बाद साजिद ने पश्चिम बंगाल के अन्य ऑपरेटर नोमान, मुजीबुर और अमीन के साथ मिलकर फर्जी आधार कार्ड बनाने का नेटवर्क तैयार किया। वह “https://domicile.xyz/admin” वेबसाइट के माध्यम से फर्जी प्रमाण पत्र बनाता था। प्रति प्रमाण पत्र 50-100 रुपये उसकी बैंक खाते से कटते थे, जबकि वह ग्राहकों से 500-1000 रुपये तक वसूलता था।

भारत की राजनीति में ब्राजील मॉडल की एंट्री! जानें कौन है जिसको राहुल गांधी ने बताया फर्जी वोटर, लरिसा ने खुद बताई सच्चाई

नईमुद्दीन ने पूछताछ में बताया कि वह “https://dccrorgi.co.in/admin” वेबसाइट से फर्जी जन्म, मृत्यु और निवास प्रमाण पत्र तैयार करता था। आधार कार्ड तैयार करने के लिए वह “adhar enrolment client/ecmp.cmd” सॉफ्टवेयर का उपयोग करता था, जिसमें अधिकृत ऑपरेटर की आईडी और पासवर्ड डालकर ग्राहक का डेटा अपलोड किया जाता था।

क्रिकेट से कुर्की तक, ED ने अटैच की करोड़ों की संपत्ति; अवैध सट्टेबाजी ऐप केस में फंसे दिग्गज खिलाड़ी

दोनों आरोपियों ने यह भी कबूल किया कि वे फर्जी मोहरों से सरकारी अधिकारियों के नाम पर प्रमाण पत्र बनाते थे। फिंगर प्रिंट और आईरिस स्कैनर का उपयोग ग्राहकों का बायोमेट्रिक डेटा कैप्चर करने के लिए किया जाता था। इस नेटवर्क के जरिए वे हर महीने हजारों रुपये कमा रहे थे और अधिकृत ऑपरेटर को लगभग 50 हजार रुपये महीने का भुगतान करते थे।

Exit mobile version