UP News: जौनपुर में पुलिसिया गुंडागर्दी! रिश्वत, धमकी और जातीय उत्पीड़न में थाने की खुली पोल

जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर थाने में रिश्वत, धमकी और जातीय उत्पीड़न का गंभीर मामला सामने आया है। एक के बाद एक पुलिसकर्मियों के निलंबन ने यूपी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 13 July 2025, 12:16 PM IST
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Jaunpur: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मुंगराबादशाहपुर थाना एक बार फिर पुलिसिया मनमानी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते सुर्खियों में है। हाल ही में सामने आए मामले में थाना पुलिस पर वादी से न केवल रिश्वत मांगने, बल्कि कोर्ट में दाखिल याचिका को वापस लेने के लिए धमकाने तक का आरोप लगा है। इस कांड में शनिवार को एक और एसआई इंद्रदेव सिंह को निलंबित कर दिया गया। इससे पहले थानाध्यक्ष दिलीप कुमार सिंह, दो आरक्षी और एक लेखपाल पर भी गाज गिर चुकी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, पूरा मामला बड़ा गांव निवासी गौरीशंकर सरोज द्वारा ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका से जुड़ा है। याचिका दायर करने के बाद उनके घर पर थाना के आरक्षी पंकज मौर्य, नीतेश गौड़ और हल्का लेखपाल विजय शंकर पहुंचे। याचिका वापस लेने का दबाव बनाते हुए उनके नाती रजनीश सरोज को जबरन हिरासत में लेने की कोशिश की गई। बताया जा रहा है कि थोड़ी दूरी ले जाने के बाद पुलिसकर्मियों ने ₹2000 की रिश्वत लेकर युवक को छोड़ा।

अदालत से शिकायत, पुलिस पर कार्रवाई

यह मामला जब अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में पहुंचा, तो उच्चाधिकारियों को जांच कर कार्रवाई करनी पड़ी। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ कुमार ने इंस्पेक्टर दिलीप कुमार सिंह समेत दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज

इस मामले में सिर्फ निलंबन ही नहीं, बल्कि सख्त कानूनी कार्रवाई भी हुई है। दो सिपाहियों और लेखपाल पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अब शनिवार को एक और ग्रामीण शिवगाविंद पर भी इसी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिससे यह भी सवाल उठने लगे हैं कि कहीं मामले को पलटने की कोशिश तो नहीं हो रही?

पुलिस पर उठते सवाल, थाने की पुरानी छवि भी संदिग्ध

मुंगराबादशाहपुर थाना पहले भी विवादों में रह चुका है। अप्रैल में इसी थाने में तैनात रहे थानाध्यक्ष विनोद मिश्रा को पुलिस अधीक्षक ने लाइन हाजिर किया था। होली के दौरान युवकों की सार्वजनिक पिटाई के मामले में उपनिरीक्षक मनोज सिंह को भी हटाया गया था। इसके अलावा, कुछ समय पहले थाना परिसर में रखे कबाड़ वाहनों में आग लगने की घटना ने भी थाने की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे।

कानून-व्यवस्था पर भरोसा कमजोर

लगातार सामने आ रहे इन मामलों ने स्थानीय जनता के बीच पुलिस की निष्पक्षता और कानून-व्यवस्था पर भरोसे को कमजोर किया है। वादी को डराने-धमकाने और रिश्वत के बदले इंसाफ को कमजोर करने की ये घटनाएं सिर्फ एक थाने तक सीमित नहीं, बल्कि सिस्टम की गहराई तक फैले भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती हैं।

हालांकि, मामले की जांच जारी है और रिपोर्ट के आधार पर अन्य लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का कहना है कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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