UP News: गोरखपुर कमिश्नरी अधिवक्ता बैठक के बहाने कर्तव्यों से उदासीन, मुवक्किल परेशान

न्याय की उम्मीद लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले मुवक्किल इन दिनों अधिवक्ताओं की कार्यप्रणाली से खासे आहत हैं। कमिश्नरी के कई अधिवक्ता समय पर अदालत में पेशी करने के बजाय बैठक या आवश्यक कार्य का बहाना बनाकर अपने दायित्वों से बच रहे हैं। पढिए पूरी खबर

गोरखपुर:  न्याय की उम्मीद लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले मुवक्किल इन दिनों अधिवक्ताओं की कार्यप्रणाली से खासे आहत हैं। आरोप है कि कमिश्नरी के कई अधिवक्ता समय पर अदालत में पेशी करने के बजाय बैठक या आवश्यक कार्य का बहाना बनाकर अपने दायित्वों से बच रहे हैं। इसका सीधा असर उन मुवक्किलों पर पड़ रहा है, जो समय और धन खर्च कर न्याय की आस में अदालत का चक्कर लगाते हैं।

क्या है पूरी खबर

जानकारी के मुताबिक, अधिवक्ता अक्सर यह कहकर सुनवाई टाल देते हैं कि उन्हें किसी जरूरी बैठक में शामिल होना है। नतीजतन, तय तारीख पर केस की सुनवाई नहीं हो पाती और तारीख पर तारीख मिलना आम हो गया है। इससे जहां मुकदमों का निस्तारण वर्षों तक लटका रहता है, वहीं मुवक्किलों की जेब पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।

अधिवक्ता जानबूझकर मामलों का निस्तारण

एक मुवक्किल ने आक्रोश जताते हुए कहा, “हम सुबह से अदालत में इंतजार करते हैं, लेकिन हमारे अधिवक्ता बैठक का हवाला देकर अनुपस्थित हो जाते हैं। फीस समय पर ले ली जाती है, पर सुनवाई टल जाती है। हर पेशी पर यही हाल रहता है, जिससे हमारा समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है।”दूसरे मुवक्किल ने अधिवक्ताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “अधिवक्ता जानबूझकर मामलों का निस्तारण नहीं चाहते। अगर केस खत्म हो गया तो मुवक्किल कम हो जाएंगे और उनकी आय पर असर पड़ेगा। इसी वजह से हमें बार-बार अदालत का चक्कर लगाना पड़ता है।”

न्याय व्यवस्था को कमजोर

मुवक्किलों का कहना है कि अधिवक्ता यदि अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन नहीं करेंगे तो आम आदमी न्याय कैसे पा सकेगा। अधिवक्ता अदालत की रीढ़ माने जाते हैं, लेकिन उनका उदासीन रवैया न्याय व्यवस्था को कमजोर कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अधिवक्ताओं को मुवक्किलों के विश्वास और न्यायालय की गरिमा को सर्वोपरि मानते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। बैठकें जरूरी हो सकती हैं, लेकिन उनकी आड़ में पेशी टालना न केवल पेशेवर नैतिकता के खिलाफ है बल्कि न्याय की प्रक्रिया को भी बाधित करता है।

व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर न्याय प्रक्रिया

मुवक्किलों की पीड़ा यही कहती है कि अगर अधिवक्ता जिम्मेदारी से पेशी नहीं करेंगे तो न्याय की गाड़ी पटरी से उतर जाएगी। अधिवक्ताओं को चाहिए कि वे व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर न्याय प्रक्रिया को गति दें, ताकि अदालत का सम्मान और मुवक्किलों का भरोसा दोनों कायम रह सके।

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Location : 
  • गोरखपुर

Published : 
  • 25 September 2025, 1:57 PM IST