UP News: चंदौली में फूटा आशाओं का गुस्सा, स्वास्थ्य विभाग का किया घेराव, जानें पूरा मामला

चंदौली के सदर स्वास्थ्य केंद्र पर आशा कार्यकत्रियों और संगीनियों ने मानदेय न मिलने और आशा घर पर कब्जे के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए और चेतावनी दी गई कि मांगें पूरी न हुईं तो आंदोलन तेज होगा।

Updated : 14 July 2025, 12:25 PM IST
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Chandauli: चंदौली के सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर रविवार को उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया जब जिले की दर्जनों आशा कार्यकत्रियों और संगीनियों ने चार माह से बकाया मानदेय और प्रोत्साहन राशि को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। गुस्साई महिलाओं ने स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, प्रदर्शन कर रहीं आशा कार्यकत्रियों ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य केंद्र परिसर में स्थित आशा घर पर अधिकारियों और कर्मचारियों ने कब्जा कर लिया है, जिससे उन्हें बैठक और कार्य संचालन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब हम समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का काम करती हैं, तो हमारा ही शोषण क्यों किया जा रहा है?

अधिकारियों पर गंभीर आरोप, सीएमओ को बताया 'किन्नर'

प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इस कदर फूटा कि उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को किन्नर तक कह डाला। आशा कार्यकत्री मीरा सिंह ने कहा, "किन्नर भी सड़कों पर ताली बजाकर खाते हैं, लेकिन हमारे अधिकारी घर में छिपकर सब कुछ डकार जाते हैं।" इसी तरह नेमा मौर्य ने कहा कि हम हर मौसम, हर परिस्थिति में घर-घर जाकर टीकाकरण, प्रसव और जागरूकता अभियान चलाते हैं, लेकिन चार माह से हमारी मेहनताना राशि रोक दी गई है।

ASHA Workers Protest Chandauli

आशाओं ने दी आंदोलन की चेतावनी

मौके पर पहुंचे अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, हुआ घेराव

स्थिति बिगड़ती देख अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. गुलाब मौर्य मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया और तत्काल भुगतान की मांग की। इस दौरान डॉ. गुलाब मौर्य ने आश्वासन दिया कि अगले 10 दिनों के भीतर बकाया मानदेय और प्रोत्साहन राशि जारी की जाएगी, साथ ही आशा घर पर अवैध कब्जे की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

भरोसे पर टूटा विश्वास, चेताया आंदोलन तेज करने की चेतावनी

हालांकि प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि 10 दिन के भीतर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे जिलेभर की आशा कार्यकत्रियों को एकजुट कर जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना देंगी और व्यापक आंदोलन छेड़ेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी योजनाओं में आशाओं की अहम भूमिका होती है, लेकिन उन्हें हमेशा नजरअंदाज किया जाता है।

आशा कार्यकत्रियों की ये हैं मुख्य मांगें

  • चार माह से लंबित मानदेय और प्रोत्साहन राशि का तत्काल भुगतान
  • आशा घर से अधिकारियों व कर्मचारियों का अवैध कब्जा हटाया जाए
  • सम्मानजनक व्यवहार और कार्यस्थल पर सुविधा सुनिश्चित की जाए
  • नियमित बैठक और प्रशिक्षण के लिए अलग से स्थान निर्धारित किया जाए

जिला प्रशासन की जिम्मेदारी

स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली आशा कार्यकत्रियों का इस तरह सड़कों पर उतरना दिखाता है कि स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी उपेक्षित है। अब निगाहें जिला प्रशासन पर हैं कि वह इन मांगों को कितना गंभीरता से लेता है और वादे को हकीकत में बदलता है या नहीं।

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