उत्तर प्रदेश के महराजगंज से बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। जनपद के नगर क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या 15 आज़ाद नगर स्थित श्री ठाकुर आरोग्यम हॉस्पिटल एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में आ गया है। यहां ऑपरेशन के दौरान कथित चिकित्सीय लापरवाही से 25 वर्षीय प्रसूता की मौत हो गई।

परिजनों का फूटा गुस्सा
Maharajganj: उत्तर प्रदेश के महराजगंज से बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। जनपद के नगर क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या 15 आज़ाद नगर स्थित श्री ठाकुर आरोग्यम हॉस्पिटल एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में आ गया है। यहां ऑपरेशन के दौरान कथित चिकित्सीय लापरवाही से 25 वर्षीय प्रसूता की मौत हो गई। घटना के बाद अस्पताल परिसर में परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और माहौल तनावपूर्ण हो गया।
मृतका की पहचान किरण यादव (25 वर्ष) पत्नी अमरेंद्र यादव, निवासी नंदना शिवपुर, थाना घुघली के रूप में हुई है। परिजनों का आरोप है कि प्रसव पीड़ा होने पर आशा कार्यकर्ता की कथित मिलीभगत से किरण यादव को इस निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजनों के मुताबिक अस्पताल में न तो समुचित चिकित्सकीय सुविधाएं हैं और न ही आपात स्थिति से निपटने की पर्याप्त व्यवस्था।
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परिजनों का कहना है कि बीती रात ऑपरेशन के जरिए बच्चे का जन्म कराया गया। ऑपरेशन के तुरंत बाद प्रसूता की हालत लगातार बिगड़ती चली गई। आरोप है कि उस समय न तो कोई वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद था और न ही जरूरी मेडिकल उपकरण उपलब्ध थे। इलाज के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई गई, जिससे समय रहते उचित उपचार नहीं मिल सका और नवविवाहिता मां की दर्दनाक मौत हो गई।
घटना से आक्रोशित परिजन अस्पताल परिसर में ही धरने पर बैठ गए और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। परिजनों ने अस्पताल को “मौत का अड्डा” बताते हुए आरोप लगाया कि यह अस्पताल मानकों के विपरीत संचालित हो रहा है। उनका कहना है कि ऐसे निजी अस्पताल गरीब और ग्रामीण परिवारों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।
हंगामे की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। पुलिस ने परिजनों को समझाकर शांत कराया और पूरे मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी। हालांकि, परिजन कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे।
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परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस से मांग की है कि श्री ठाकुर आरोग्यम हॉस्पिटल की मान्यता, यहां कार्यरत डॉक्टरों की डिग्री, ऑपरेशन की अनुमति और उपलब्ध संसाधनों की तत्काल जांच कराई जाए। साथ ही दोषी डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। फिलहाल यह मामला जिले में निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।