

जगन्नाथ यात्रा को लेकर कानपुर जिले में मामला गरमाया हुआ है। रथयात्रा में लाउडस्पीकर पर रोक से बवाल मचा हुआ है। जिसके बाद अब महंत ने प्रशासन को चेतावनी दे दी है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
महंत जितेंद्र दास ने दी चेतावनी
कानपुर: जिले में जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान शुक्रवार को लाउडस्पीकर लगाने को लेकर बड़ा विवाद हो गया। प्रशासन द्वारा ध्वनि प्रदूषण के नाम पर लाउडस्पीकर पर पाबंदी लगाने के फैसले के खिलाफ पनकी हनुमान मंदिर के महंत जितेंद्र दास और उनके समर्थकों ने मोर्चा खोल दिया। मामला इतना बढ़ा कि नयागंज स्थित पीपल वाली कोठी के बाहर सैकड़ों लोग धरने पर बैठ गए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, महंत जितेंद्र दास ने आरोप लगाया कि जब वह प्रशासन से अनुमति लेने गए तो बादशाही नाका चौकी इंचार्ज ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया।
महंत का बयान
उनका कहना है कि वर्षों से यह यात्रा निकलती आ रही है और पहली बार ऐसा हुआ है कि लाउडस्पीकर और भजन पर रोक लगाई जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर एक घंटे के भीतर चौकी इंचार्ज को सस्पेंड नहीं किया गया तो आंदोलन और तेज़ होगा।
लगे पुलिस विरोधी नारे
घटना के बाद सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु और समर्थक सड़क पर उतर आए। सभी ने "पुलिस मुर्दाबाद" के नारे लगाए और प्रशासन के खिलाफ गंभीर नाराजगी जताई। पीपल वाली कोठी के बाहर बैठकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया और साफ कहा कि रथयात्रा बिना भजन-कीर्तन के नहीं निकलेगी।
सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी भी पहुंचे
धरने को देखते हुए समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेयी भी मौके पर पहुंचे और कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि धार्मिक आस्था से जुड़ा मामला है। हर राजनीतिक दल का नेता जनता के साथ सड़क पर बैठा है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि आस्था के आयोजनों में इस तरह की टकराव की स्थिति ना बनाएं।
पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे
विवाद के बढ़ते तनाव को देखते हुए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि पूरे मामले की जांच की जाएगी और जरूरी हुआ तो कार्रवाई भी की जाएगी। हालांकि, अभी तक कोई प्रशासनिक फैसला सामने नहीं आया है।
बिना भजन के नहीं निकलेगी यात्रा
महंत जितेंद्र दास ने स्पष्ट कहा कि रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ की है, उसमें भजन-कीर्तन और स्पीकर न हो, ये कैसे संभव है? अगर ऐसा हुआ तो यह आस्था के खिलाफ होगा और हम चुप नहीं बैठेंगे। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और व्यापक रूप लेगा।