

विद्यालय मर्जर के खिलाफ सुल्तानपुर के शिक्षकों ने इसौली विधायक ताहिर खान को ज्ञापन सौंपा। विधायक ने मुद्दा विधानसभा में उठाने और संघर्ष में साथ देने का भरोसा दिया।
सुल्तानपुर में विद्यालय मर्जर
Sultanpur: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जनपद से हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए विद्यालयों के मर्जर (एकीकरण) के निर्णय के खिलाफ शिक्षकों का आक्रोश तेज होता जा रहा है। प्रदेश सरकार की इस नई शिक्षा नीति के विरोध में जिले के शिक्षक खुलकर सामने आ गए हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इसी क्रम में प्राथमिक शिक्षक संघ, सुल्तानपुर के प्रतिनिधिमंडल ने इसौली विधानसभा क्षेत्र के विधायक ताहिर खान से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा और अपनी मांगों से अवगत कराया।
मर्जर से शिक्षा में आएगी गिरावट
शिक्षकों ने कहा कि विद्यालयों के एकीकरण से शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आएगी, क्योंकि इससे एक शिक्षक पर कई कक्षाओं का अतिरिक्त बोझ आ जाएगा। बता दें कि उन्होंने यह भी बताया कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में छोटे विद्यालयों के विलय से छात्रों की उपस्थिति पर नकारात्मक असर पड़ेगा। कई बच्चे दूरी बढ़ने के कारण विद्यालय आना बंद कर सकते हैं, जिससे ड्रॉपआउट की समस्या और बढ़ेगी।
विधायक ने गंभीरता से सुनी शिक्षकों की बात
विधायक ताहिर खान ने शिक्षकों की बातों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को सड़क से लेकर विधानसभा तक पुरजोर तरीके से उठाएंगे। उन्होंने विद्यालय मर्जर को छात्रों और शिक्षकों दोनों के हितों के खिलाफ बताते हुए सरकार से पुनर्विचार की मांग की।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विधायक ने यह भी कहा कि एक तरफ सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसे निर्णय लेकर शिक्षकों की संख्या कम करने और संसाधनों को सीमित करने का काम कर रही है।
आंदोलन करने की चेतावनी
प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि यदि सरकार ने जल्द ही यह फैसला वापस नहीं लिया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल शिक्षकों का मुद्दा नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ा सवाल है।
जिला अध्यक्ष का बयान
संघ के जिला अध्यक्ष ने कहा कि जब पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है और एक-एक शिक्षक कई जिम्मेदारियों को निभा रहा है, तब विद्यालयों को मर्ज कर देना मौजूदा व्यवस्था को और बदतर बना देगा।
ज्ञापन सौंपने के दौरान शिक्षक संघ के कई पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित रहे। सबका कहना था कि सरकार को इस फैसले के सामाजिक और शैक्षणिक प्रभावों पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस विरोध के बाद जिले में इस मुद्दे पर चल रहे आंदोलन को और बल मिलने की संभावना है। शिक्षक संघ ने स्पष्ट किया है कि जब तक सरकार अपना निर्णय वापस नहीं लेती, तब तक विरोध जारी रहेगा।