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एसटीएफ और वन विभाग की टीम ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए दो कछुआ तस्करों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से 197 दुर्लभ प्रजाति के कछुए और एक सेंट्रो कार बरामद हुई है। आरोपी कछुओं को उत्तराखंड के उद्यमसिंह नगर में बेचने जा रहे थे।
कछुओं के साथ दो तस्कर गिरफ्तार
Mainpuri: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में एसटीएफ और वन विभाग की संयुक्त टीम ने वन्यजीव तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। रविवार देर शाम किशनी रेंज और इटावा बॉर्डर के पास से टीम ने दो कछुआ तस्करों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों के पास से 197 कछुए और एक सेंट्रो कार बरामद की गई है। यह कार्रवाई क्षेत्र में संचालित अवैध वन्यजीव व्यापार के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक मानी जा रही है।
जांच के दौरान पकड़े गए वाहन से कुल 197 “सौंदर्यीय प्रजाति” (Ornamental species) के कछुए बरामद किए गए हैं। इनमें कई ऐसी प्रजातियां हैं जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित हैं। ये कछुए अवैध रूप से बाजारों में ऊंचे दामों पर बेचे जाते हैं, खासकर सजावटी और औषधीय उपयोग के लिए।
डीएफओ संजय मल्ल ने बताया कि शुरुआती पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी इन कछुओं को उत्तराखंड के उद्यमसिंह नगर ले जा रहे थे। वहां से इन कछुओं को आगे दूसरे राज्यों या अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को बेचे जाने की संभावना है। संजय मल्ल ने बताया कि दोनों आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि यह एक संगठित गिरोह का हिस्सा हैं। इनके पीछे एक बड़ी सप्लाई चेन काम कर रही है। जांच टीम यह पता लगा रही है कि ये कछुए कहां से लाए गए थे और किसे सौंपे जाने वाले थे।
मैनपुरी में की गई यह कार्रवाई वन विभाग की सतर्कता और एसटीएफ की तेज़ सूचना नेटवर्किंग का परिणाम है। इससे पहले भी प्रदेश के इटावा, फर्रुखाबाद और कन्नौज जिलों में कछुआ तस्करी के कई मामले सामने आ चुके हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, कछुए भारत में सबसे अधिक तस्करी किए जाने वाले जलीय जीवों में शामिल हैं। इनका उपयोग चीन, म्यांमार, नेपाल और थाईलैंड जैसे देशों में पारंपरिक औषधियों और भोजन के रूप में किया जाता है।
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विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में पकड़े जाने वाले अधिकांश कछुए गंगा और यमुना नदी के बेसिन क्षेत्रों से लाए जाते हैं। मैनपुरी, इटावा, फतेहगढ़ और कानपुर के इलाकों में यह तस्करी लंबे समय से सक्रिय है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कछुए की कई प्रजातियां अनुसूची-1 में आती हैं, जिनकी शिकार, खरीद-फरोख्त या तस्करी गंभीर अपराध है। दोषी पाए जाने पर सात साल तक की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है।
डीएफओ संजय मल्ल ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान एसटीएफ टीम ने न केवल आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ा बल्कि पूरी तस्करी की चेन को तोड़ने में मददगार सबूत भी जुटाए हैं। उन्होंने कहा कि यह अभियान एक टीमवर्क का परिणाम है। वन विभाग और एसटीएफ ने लगातार दो दिनों तक जाल बिछाया था, जिसके बाद सफलता मिली।