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Gorakhpur: देवउठनी एकादशी पर सरयू तट पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, शुभ कार्यों का होगा पुनः आरंभ

देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर शनिवार को गोला क्षेत्र में आस्था और उल्लास का अनोखा संगम देखने को मिला। तड़के भोर से ही श्रद्धालु सरयू नदी के पवित्र तटों पर पहुँचने लगे। सूर्योदय के साथ ही नदी तट “हरि बोल” और “जय विष्णु भगवान” के जयघोष से गूंज उठा।
Post Published By: Jay Chauhan
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Gorakhpur: देवउठनी एकादशी पर सरयू तट पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, शुभ कार्यों का होगा पुनः आरंभ

Gorakhpur: देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर शनिवार को गोला क्षेत्र में आस्था और उल्लास का अनोखा संगम देखने को मिला। तड़के भोर से ही श्रद्धालु सरयू नदी के पवित्र तटों पर पहुंचने लगे। सूर्योदय के साथ ही नदी तट “हरि बोल” और “जय विष्णु भगवान” के जयघोष से गूंज उठा।

श्रद्धालुओं ने पवित्र सरयू में स्नान कर तिल, तुलसी और गंगाजल से भगवान विष्णु का पूजन-अर्चन किया तथा पापों से मुक्ति और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

श्रीहरि विष्णु की होती है पूजा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, जिससे धर्म-संस्कारों और शुभ कार्यों का पुनः आरंभ होता है। इसी कारण इस दिन विवाह, गृहप्रवेश और मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत शुभ मानी जाती है। गोला क्षेत्र के रामजानकी मंदिर, विष्णु मंदिर और अन्य देवस्थलों पर भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। महिलाएं सिर पर पूजा की थाली सजाए भजन-कीर्तन गातीं मंदिरों की ओर जाती दिखीं।

गन्ना और सिंघाड़े की दुकानों पर लगी कतारें

 

स्नान और पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने सरयू किनारे दीपदान किया। जल में तैरते दीपों का दृश्य अत्यंत मनोहारी और भावनात्मक था। कई भक्तों ने दीपदान के साथ पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी लिया। इस दौरान पुलिस और नगर पंचायत की ओर से सुरक्षा एवं स्वच्छता के पर्याप्त प्रबंध किए गए थे।

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बाजारों में दिखी खूब रौनक

इधर बाजारों में देवउठनी एकादशी को लेकर खूब रौनक रही। सुबह से ही दुकानों पर गन्ना, सिंघाड़ा, फल, फूल और तुलसी की मांग बढ़ गई। गोला बाजार, कौड़ीराम, तथा आसपास के ग्रामीण बाजारों में खरीदारी के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। गन्ना और सिंघाड़े की दुकानों पर लोगों की लम्बी कतारें लगी रहीं। व्यापारियों के चेहरों पर भी उत्साह झलकता दिखा।

स्थानीय श्रद्धालु रामकुमार पांडेय ने बताया कि देवउठनी एकादशी का व्रत चार महीने के चातुर्मास का समापन करता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना से जीवन में शुभता आती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं, महिलाओं ने तुलसी विवाह की पारंपरिक रस्म निभाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद लिया।

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पूरे दिन धार्मिक वातावरण बना रहा। शाम को मंदिरों में दीपमालाओं से जगमग दृश्य ने लोगों का मन मोह लिया। देवउठनी एकादशी का यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक बनकर क्षेत्रवासियों की स्मृतियों में लंबे समय तक अंकित रहेगा।

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