रायबरेली जिले में इन दिनों कड़ाके की ठंड के बीच एक व्यक्ति का साहसिक विरोध प्रदर्शन चर्चा का विषय बना हुआ है। ऊंचाहार क्षेत्र के रहने वाले रवि कुमार बीते चार दिनों से विकास भवन परिसर में नीम के पेड़ के नीचे धरने पर बैठे हैं।

डीएम के पेशकार के खिलाफ धरने पर बैठा युवक
Raebareli: रायबरेली जिले में इन दिनों कड़ाके की ठंड के बीच एक व्यक्ति का साहसिक विरोध प्रदर्शन चर्चा का विषय बना हुआ है। ऊंचाहार क्षेत्र के रहने वाले रवि कुमार बीते चार दिनों से विकास भवन परिसर में नीम के पेड़ के नीचे धरने पर बैठे हैं। उनका आरोप है कि जिला प्रशासन में वर्षों से जमे कुछ अधिकारी नियमों की अनदेखी कर मनमानी कर रहे हैं, जिससे आम जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
धरनारत रवि कुमार का कहना है कि जिलाधिकारी कार्यालय में तैनात स्टेनो महेश त्रिपाठी पिछले 15 से 20 वर्षों से एक ही पटल पर कार्यरत हैं। नियमों के अनुसार किसी भी कर्मचारी को निर्धारित समयावधि के बाद स्थानांतरित किया जाना चाहिए, लेकिन यहां नियमों को ताक पर रखकर एक ही स्थान पर जमे रहने का चलन बन गया है। रवि कुमार का आरोप है कि इसी कारण प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता खत्म हो रही है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।
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रवि कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने और उनके पिता ने कई बार अपनी समस्याओं को लेकर संबंधित कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिए, लेकिन उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया। उनका कहना है कि कई बार तो उनके आवेदन पत्रों को स्टेनो द्वारा फाड़कर डस्टबिन में फेंक दिया गया। इससे आहत होकर उन्होंने धरने का रास्ता अपनाया।
रायबरेली। कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे जिला प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठा एक व्यक्ति।#UPNews #RaebareliNews #UPWeather #Viralreel #Viralvideo pic.twitter.com/hqpN2A1iWu
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) December 26, 2025
धरनास्थल पर अब तक न तो कोई वरिष्ठ अधिकारी पहुंचा है और न ही किसी ने उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की है। रवि कुमार का कहना है कि जब सरकार ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति की बात करती है, तो ज़मीनी स्तर पर उसका पालन क्यों नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने समय रहते संज्ञान नहीं लिया तो वह अपना आंदोलन और तेज करेंगे।
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इस पूरे मामले ने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम नागरिकों का कहना है कि जब एक व्यक्ति खुले आसमान के नीचे ठंड में बैठकर न्याय की गुहार लगा रहा है और कोई सुनने वाला नहीं है, तो यह व्यवस्था की संवेदनहीनता को दर्शाता है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक इस मामले पर संज्ञान लेता है और क्या कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं।