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उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अमित पाल सिंह के निर्देशानुसार व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,रायबरेली के तत्वावधान में शुक्रवार को शिव नारायण सिंह इण्टर कालेज, दीनशाह गौरा में बाल दिवस के अवसर पर विधिक साक्षरता जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया।
बाल दिवस के अवसर पर बच्चों को बताये अधिकार
Raebareli: उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अमित पाल सिंह के निर्देशानुसार व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,रायबरेली के तत्वावधान में शुक्रवार को शिव नारायण सिंह इण्टर कालेज, दीनशाह गौरा में बाल दिवस के अवसर पर विधिक साक्षरता जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन मुख्य अतिथि अनुपम शौर्य, अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायबरेली की अध्यक्षता में किया गया।
इस कार्यक्रम में पराविधिक स्वयं सेवक लालता प्रसाद द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समस्त आयामों के संबंध में विस्तृत रुप से बताया गया। उनके द्वारा पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना, आधार प्रपत्र, निःशुल्क अधिवक्ता की सुविधा तथा विशेष महिलाओं बच्चों व वृद्धजन को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से मिलने वाली सुविधा के संबंध में आमजन को जागरुक किया गया।
इस कार्यक्रम के अवसर पर जय सिंह यादव डिप्टी चीफ, एलएडीसी के द्वारा बच्चों के शिक्षा का अधिकार अधिनियम को बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि 2009 एक कानून है जो 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करता है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत एक मौलिक अधिकार है और 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ था। यह अधिनियम स्कूलों के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करता है और सुनिश्चित करता है कि किसी भी बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने से रोका या निष्कासित नहीं किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के अवसर पर अनुपम शौर्य, अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायबरेली के द्वारा विद्यालय में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे लैंगिक-संवेदनशील पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों को लागू करके, भेदभाव रहित वातावरण प्रदान करके, और बच्चों को समान अवसर और संसाधन देकर लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती दे सकते हैं।
विद्यालय छात्रों में लैंगिक संवेदनशीलता विकसित करने, उन्हें एक दूसरे का सम्मान करने और एक दूसरे के प्रति सहानुभूति रखने के लिए शिक्षित करते हैं। इसके साथ ही कार्यक्रम में पाक्सो अधिनियम के संबंध में जानकारी देने हुए बताया गया कि उक्त अधिनियम वर्ष 2012 में बच्चों की सुरक्षा हेतु बनाया गया था, जिसका पूरा नाम यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम है। इसका उद्देश्य 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन उत्पीड़न और यौन शोषण से बचाना है। यह भी अवगत कराया गया कि इसमें यौन उत्पीड़न यौन शोषण और बाल पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों को शामिल किया गया है।
अधिनियम में विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग सजाओं का प्रावधान है। जिसमें कारावास और जुर्माना शामिल हैं। बाल पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए भी इसमें प्रावधान हैं। इस अधिनियम के तहत विशेष न्यायालयों का गठन किया गया है ताकि मामलों की त्वरित सुनवाई हो सके।
विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति की जाती है ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके। अधिनियम में पीड़ितों की पहचान की गोपनीयता बनाए रखने का प्रावधान है। यह अधिनियम बच्चों को यौन अपराधों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों के साथ हुए यौन अपराधों के मामलों में न्याय हो सके।
यह बाल यौन शोषण के खिलाफ एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करता है। यह बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है। वर्ष 2019 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया ताकि 18 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को यौन अपराधों से बचाया जा सके। इस अधिनियम में कुछ मामलों में जैसे "गंभीर भेदक यौन हमला" मृत्युदंड का प्रावधान भी है।
इस कार्यक्रम में प्रधानाचार्य लाल संजय प्रताप सिंह, अध्यापक सुनील दत्त व प्रेमचन्द्र भारती, जय सिंह यादव डिप्टी चीफ, एलएडीसी तथा पराविधिक स्वयं सेवक रज्जन कुमार, जयप्रकाश व जंगबहादुर उपस्थित रहे। उक्त कार्यक्रम में प्रधानाचार्य व उप प्रधानाचार्य के द्वारा बाल दिवस के अवसर पर बच्चों को बधाई दी गयी।