Pratapgarh News: मुशायरे में नगमों की बरसात, प्रतिभा पांडेय ने जगाया राष्ट्र चिंतन का जज्बा

तिलक इंटर कालेज में आयोजित शाम-ए-अदब के तीसरे अखिल भारतीय मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 3 June 2025, 1:59 PM IST
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प्रतापगढ़: यूपी के प्रतापगढ़ शहर के तिलक इंटर कालेज में आयोजित शाम-ए-अदब के तीसरे अखिल भारतीय मुशायरा व कवि सम्मेलन ने साहित्य प्रेमियों के दिलों को छू लिया। रात भर चले इस कार्यक्रम में शायरों और कवियों ने अपनी रचनाओं से नगमों की ऐसी बरसात की कि श्रोता वाह-वाह करते रहे। इस साहित्यिक समारोह ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि राष्ट्र चिंतन और सामाजिक जागरूकता का संदेश भी दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि जमुना प्रसाद उपाध्याय ने अपनी रचना से माहौल को नया रंग दिया। उनकी पंक्तियां, 'नदी के घाट पर भी यदि सियासी लोग बस जाएं, तो प्यासे ओंठ एक-एक बूंद पानी को तरस जाएं,' ने श्रोताओं को गहरे चिंतन में डुबो दिया। वहीं संचालन की जिम्मेदारी निभा रहे नसीम साज ने अपने मधुर नगमों से समा बाँधा और उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया।

मुख्य अतिथि रहीं कवयित्री प्रतिभा पांडेय

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कवयित्री प्रतिभा पांडेय ने उद्घाटन किया और अपनी रचना, 'लिखे जो राष्ट्र का चिंतन, सृजन में शौर्य की गाथा, मैं ऐसी हूँ कलमकारा, जो सच्ची बात करती हूँ,' के जरिए राष्ट्रप्रेम और सत्यनिष्ठा का संदेश दिया। उनकी पंक्तियों ने श्रोताओं में देशभक्ति का जज्बा जगा दिया। इसके बाद सरस्वती वंदना के साथ मीरा तिवारी ने कार्यक्रम को आध्यात्मिक ऊंचाई दी।

इस दौरान, शामली से आए शायर नवाजिश नजर ने अपनी रचना, तुझसे मिलने का तो अरमान बहुत होता है, हां मगर वक्त का नुकसान बहुत होता है, से खूब तालियां बटोरीं। हास्य कवि मुजावर मालेगांवी ने अपने अनोखे अंदाज में कहा, ये अलग बात कि फूलों से लदे रहते हैं, फिर भी जो लोग गधे हैं वो गधे रहते हैं, जिसने श्रोताओं को ठहाकों से भर दिया। मकदूम फूलपुरी ने किसानों और सैनिकों के बलिदान को याद करते हुए पढ़ा, किसानों के ही बेटे सरहदों पर जान देते हैं, बड़े लोग अपने बेटों को कहां फौजी बनाते

शारिक फूलपुरी ने युवाओं की बेरोजगारी पर तंज कसते हुए कहा, नौकरी की चाहत में कितनी मुश्किलें झेलीं, ये तो नौजवानों की डिग्रियां समझती हैं। वहीं सूरत की शायरा इमराना अदीब ने अपनी रचना, उसने अपनी आंखों से जाम जो पिलाया है, अब तलक नशा उसका मेरे दिल पे छाया है, से प्रेम और रोमांस का रंग बिखेरा। नाजो नाज की पंक्तियां, आज अपनों को तन्हा छोड़कर चली आई, सारे वादे कसमों को तोड़कर चली आई ने भावनात्मक गहराई को उजागर किया।

बिहारी लाल अंबर ने अपने हास्य भरे अंदाज से माहौल को हल्का किया, वहीं परवाना प्रतापगढ़ी के मुक्तक ने भी खूब वाहवाही लूटी। राजमूर्ति सिंह सौरभ की गजल को भी श्रोताओं ने सराहा। मुख्य अतिथि समाजसेवी अनिल प्रताप त्रिपाठी प्रवात ने कहा कि कवि और शायर समाज को सही दिशा दिखाने का काम करते हैं। अति विशिष्ट अतिथि इं. चंद्रकांत त्रिपाठी शाश्वत ने अपने गीत से सभी का मन मोह लिया। कवि और पत्रकार राज नारायण शुक्ल राजन ने अपनी रचना, आओ चैन-ओ-अमन की बात करें, आओ अपने वतन की बात करें, से शांति और देशप्रेम का आह्वान किया।

कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित

कार्यक्रम के अंत में समापन अतिथि शिक्षक राजेश कुमार मिश्र ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। आयोजक शायर नियाज प्रतापगढ़ी और गीतकार संयोजक गजेंद्र सिंह विकट ने अतिथि फिल्म निर्माता बृजेश पांडेय सहित सभी का स्वागत किया। इस अवसर पर पत्रकार अखिल नारायण सिंह, संजय द्विवेदी सहित कई कवियों और शायरों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में नान्हू भाई, एजाज, नदीम, अनवर, टीपू और पप्पू आदि उपस्थित रहे।

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