GDA और यमुना प्राधिकरण की लड़ाई इंदिरापुरम के निवासियों पर पड़ी भारी, देने होंगे 349 करोड़ रुपये, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हड़कंप

GDA और यमुना प्राधिकरण के बीच वर्षों से चला आ रहा भूमि विवाद अब न्यायिक फैसले के साथ अपने अंजाम तक पहुंचा है। अब यमुना प्राधिकरण को 349 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 22 May 2025, 3:26 PM IST
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गाजियाबाद: गाजियाबाद के सबसे विकसित और पॉश इलाकों में शुमार इंदिरापुरम के निवासियों के लिए बड़ी चिंता की खबर है। सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले के बाद इंदिरापुरम के फ्लैट मालिकों की जेब पर भारी बोझ पड़ने जा रहा है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) और यमुना प्राधिकरण के बीच वर्षों से चला आ रहा भूमि विवाद अब न्यायिक फैसले के साथ अपने अंजाम तक पहुंचा है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि GDA अब यमुना प्राधिकरण को 349 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।

भूमि विवाद की जड़ क्या है?

इंदिरापुरम को GDA ने एक नियोजित, आधुनिक और सुव्यवस्थित रिहायशी क्षेत्र के रूप में विकसित किया था। लेकिन यह भूमि वास्तव में यमुना प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आती है। वर्षों से दोनों संस्थाएं इस ज़मीन पर दावा करती रही हैं। मामला अदालत तक पहुंचा और अब सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम रूप से यमुना प्राधिकरण के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए GDA को 349 करोड़ रुपये की रकम अदा करने का आदेश दे दिया है।

अब ये बोझ कौन उठाएगा?

सबसे बड़ा सवाल यही है। GDA के पास खुद के संसाधन सीमित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस भारी-भरकम राशि की भरपाई प्राधिकरण आम नागरिकों से यानी कि फ्लैट मालिकों और घर खरीदारों से करने की तैयारी में है। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने पहले ही अपने घर या फ्लैट की पूरी कीमत चुका दी है, उन्हें अब एक अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाने के लिए तैयार रहना होगा।

स्थानीय निवासियों में रोष

फैसले की खबर सामने आने के बाद इंदिरापुरम में रहने वाले लोगों में जबरदस्त नाराजगी है। कई निवासी इस संभावित भुगतान के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपना घर पूरी वैध प्रक्रिया से खरीदा है, अब पुराने विवाद का बोझ उन पर डालना अन्यायपूर्ण है।

जीडीए का बयान

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के मीडिया प्रभारी रूद्रेश कुमार ने कहा है कि प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेगा। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह राशि आम लोगों से कैसे और किस रूप में वसूली जाएगी, इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। चर्चा है कि इसे विकास शुल्क, अतिरिक्त टैक्स या अन्य माध्यमों से वसूला जा सकता है।

आगे क्या होगा?

अब निगाहें सरकार की ओर हैं। क्या राज्य सरकार इस भुगतान में कोई राहत देगी? क्या GDA कोई वैकल्पिक योजना बनाएगा? और सबसे अहम सवाल क्या किरायेदारों पर भी इसका कोई असर पड़ेगा? ये सभी सवाल आने वाले दिनों में स्पष्ट हो पाएंगे। इंदिरापुरम के निवासी एक ऐसी स्थिति में फंस गए हैं। जहां उन्होंने एक नियोजित कानूनी रूप से विकसित कॉलोनी में निवेश किया, लेकिन अब उन्हें एक ऐसे विवाद की कीमत चुकानी पड़ सकती है जिसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी। आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है, खासकर यदि जीडीए द्वारा भुगतान वसूलने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।

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