नोएडा में महिला वकील को 14 घंटे हिरासत में रखने और दुर्व्यवहार के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया। कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज तलब कर केंद्र, यूपी सरकार और नोएडा पुलिस को नोटिस जारी किया है।

Noida CP Office
Noida: नोएडा में एक महिला वकील को कथित रूप से 14 घंटे तक पुलिस हिरासत में रखने और उसके साथ दुर्व्यवहार के गंभीर आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। महिला वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने इस मामले को गंभीर बताते हुए नोएडा पुलिस से संबंधित अवधि का सीसीटीवी फुटेज सील बंद लिफाफे में तलब किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और नोएडा पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।
क्या है पूरा मामला?
महिला वकील ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि वह 3 दिसंबर को अपने मुवक्किल पर हुए हमले की एफआईआर दर्ज कराने के लिए नोएडा के सेक्टर-126 थाना पहुंची थी। उस समय वह वकील की ड्रेस और पहचान पत्र (आईडी) के साथ मौजूद थी। आरोप है कि थाने में मौजूद दो पुलिस अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया।
महिला वकील को 14 घंटे तक पुलिस हिरासत में रखा
महिला वकील का कहना है कि जब उन्होंने पुलिस इमरजेंसी रिस्पॉन्स सर्विस पर कॉल करने की कोशिश की तो थाने के सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए गए। इसी दौरान उनके मुवक्किल के साथ मारपीट की गई। अगले दिन यानी 4 दिसंबर को उन्हें बिना किसी लिखित कारण के करीब 14 घंटे तक पुलिस हिरासत में रखा गया।
महिला वकील के आई चोट
याचिका में यह भी कहा गया है कि हिरासत के दौरान महिला वकील के साथ गंभीर दुर्व्यवहार किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि एक पुलिस अधिकारी ने उनका कोट फाड़ दिया, उनकी तलाशी लेने की कोशिश की और हथियार दिखाकर धमकाया। महिला वकील का कहना है कि उनके सिर में आई चोटें इस पूरे घटनाक्रम का सबूत हैं।
कोहरे से थमी रफ्तार: वंदे भारत ट्रेन ढाई घंटे लेट पहुंची दिल्ली, फ्लाइट और बसों पर भी बुरा प्रभाव
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एन.वी. अंजारिया ने की सुनवाई
इस मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने की। शुरुआत में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि जब वह नोएडा की निवासी हैं तो उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया? हालांकि, मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति जताई।
पीड़िता का आरोप
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने अदालत को बताया कि पुलिस अधिकारियों ने जानबूझकर थाने के सीसीटीवी कैमरे बंद किए और महिला वकील के साथ पुलिस स्टेशन के अंदर गंभीर कदाचार किया गया। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि सीसीटीवी फुटेज को डिलीट होने से पहले सुरक्षित किया जाए।
पुलिस ने रिकॉर्डिंग्स को डिलीट कर दिया
वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पवनी ने भी याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए कहा कि पुलिस ने महिला वकील का मोबाइल फोन जब्त कर लिया और उसमें मौजूद वीडियो रिकॉर्डिंग्स को डिलीट कर दिया। उन्होंने अदालत के समक्ष यह भी आशंका जताई कि याचिकाकर्ता की जान को खतरा हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की
जब याचिकाकर्ता की सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “इस आदेश के बाद वे अब उन्हें हाथ लगाने की जुर्रत नहीं करेंगे।” अदालत की इस टिप्पणी को याचिकाकर्ता की सुरक्षा के लिए अहम माना जा रहा है।
पूरे देश में चर्चा का विषय
सुप्रीम कोर्ट के इस हस्तक्षेप के बाद यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। अब सभी की निगाहें 7 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। जिसमें पुलिस और सरकारों के जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी। नोएडा में महिला वकील को 14 घंटे हिरासत में रखने और दुर्व्यवहार के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया। कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज तलब कर केंद्र, यूपी सरकार और नोएडा पुलिस को नोटिस जारी किया है।