

अयाना के बाढ़ प्रभावित गांव फरिहा के प्राथमिक विद्यालय में राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला के निरीक्षण के दौरान लापरवाही सामने आई। 6 अगस्त को जिलाधिकारी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी संग पहुंचीं मंत्री को विद्यालय में प्रधानाध्यापक विक्रम पटेल और शिक्षामित्र संजय सिंह अनुपस्थित मिले, जबकि सहायक अध्यापक मयंक दुबे व निशांत देर से पहुंचे। बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी परिसर में गंदगी पाई गई। नाराज मंत्री ने जिलाधिकारी को कार्रवाई के निर्देश दिए। बीएसए संजीव कुमार ने मानव संपदा पोर्टल के जरिए चारों से आठ दिन में स्पष्टीकरण मांगा है, जवाब न मिलने पर विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी गई।
फरिहा प्राथमिक विद्यालय में राज्यमंत्री के निरीक्षण में लापरवाही
Ayana: बाढ़ प्रभावित गांव फरिहा में प्राथमिक विद्यालय के स्टाफ की बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रदेश की राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने निरीक्षण के दौरान विद्यालय में शिक्षकों और शिक्षामित्र की गैरहाजिरी देख कड़ी नाराजगी जताई। मामला गंभीर होने पर जिलाधिकारी को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
राज्यमंत्री 6 अगस्त को जिलाधिकारी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी के साथ यमुना का जलस्तर घटने के बाद फरिहा गांव का दौरा करने पहुंची थीं। इस दौरान उनका उद्देश्य बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों को सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सहायता का जायजा लेना और उनकी समस्याएं सुनना था। लेकिन जब वे प्राथमिक विद्यालय पहुंचीं, तो विद्यालय बंद मिला।
निरीक्षण में पाया गया कि प्रधानाध्यापक विक्रम पटेल और शिक्षामित्र संजय सिंह मौके पर मौजूद नहीं थे। विद्यालय में तैनात दोनों सहायक अध्यापक — मयंक दुबे और निशांत — भी समय पर नहीं पहुंचे थे और सुबह करीब 10:30 बजे विद्यालय आए। यह समय सीमा से स्पष्ट रूप से देर थी।
इसके साथ ही परिसर की स्थिति भी बेहद खराब थी। बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी विद्यालय में गंदगी और अव्यवस्था फैली हुई थी। यह देखकर राज्यमंत्री ने न केवल नाराजगी जताई बल्कि जिलाधिकारी से दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने को कहा।
बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) संजीव कुमार ने बताया कि प्रधानाध्यापक समेत चारों कर्मचारियों से मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। उन्हें आठ दिनों के भीतर अपना जवाब देना होगा। यदि समय पर उचित जवाब नहीं मिला, तो विभागीय कार्रवाई तय मानी जाएगी।
गांव फरिहा बीते दिनों आई बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ था। कई घरों में पानी भर गया था और विद्यालय का शिक्षण कार्य भी प्रभावित हुआ था। हालांकि, पानी उतरने के बाद उम्मीद थी कि शिक्षा व्यवस्था सामान्य हो जाएगी, लेकिन निरीक्षण में मिली लापरवाही ने स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के बाद विद्यालय जल्द से जल्द साफ कर शिक्षण कार्य शुरू किया जाना चाहिए था, ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। वहीं प्रशासन का दावा है कि दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई कर व्यवस्था में सुधार लाया जाएगा।
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