

बरेली के आंवला सीएचसी में योग दिवस के दिन भी गंदगी जिससे प्रशासनिक अनुशासन पर भी सवाल उठे। मामले की पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
स्वास्थ्य केंद्र में गंदगी ( सोर्स - इंटरनेट )
बरेली: जहां देशभर में 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा था, वहीं आंवला स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की स्थिति बेहद चिंताजनक रही। शनिवार सुबह 8:30 बजे तक न तो स्वास्थ्य केंद्र की सफाई हुई थी और न ही योग दिवस का कोई आयोजन आरंभ हो पाया था। जबकि नगर के अन्य स्थानों पर सुबह से ही योग सत्रों की गूंज सुनाई दे रही थी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता से मिली जानकारी के मुताबिक सीएचसी परिसर में गंदगी का आलम था, जिससे वहां आने वाले मरीजों और आगंतुकों में निराशा और आक्रोश देखा गया। और तो और, स्टाफ की उपस्थिति भी पूरी नहीं थी। केंद्र में जिम्मेदार डॉक्टर और फार्मासिस्ट की सक्रियता न के बराबर दिखी।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि स्वास्थ्य केंद्र में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का दबदबा स्पष्ट रूप से नजर आया। डॉक्टर और अन्य कर्मचारी भी उनके इशारों पर कार्य करते दिखे, जिससे प्रशासनिक अनुशासन और जवाबदेही पर सवाल उठने लगे हैं।
स्थिति पर सवाल उठाने पर सीएचसी के प्रभारी डॉक्टर विनय कुमार पाल ने जानकारी दी कि वे रास्ते में हैं और जल्द ही केंद्र पहुंच रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि योग दिवस का आयोजन किया जाएगा, लेकिन इसमें थोड़ी देरी हो रही है। सफाई को लेकर उन्होंने बताया कि स्टाफ को निर्देश दे दिए गए हैं, जल्द ही व्यवस्था सुधारी जाएगी।
हालांकि वास्तविक स्थिति इस बयान से अलग दिखाई दी। केंद्र में न तो कोई तैयारी थी और न ही उत्सव जैसा माहौल। यह लापरवाही स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर स्थिति को उजागर करती है। एक ओर सरकार जहां योग और स्वच्छता को लेकर अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर योजनाओं का यह हाल जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है।
इस तरह के मामलों से न सिर्फ सरकारी योजनाओं की छवि धूमिल होती है, बल्कि आमजन का भरोसा भी कमजोर होता है। जरूरत है कि ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों की सख्त मॉनिटरिंग की जाए और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। जिससे आने वाले भविष्य में इस तरह की लापरवाही पर रोक लगाई जा सके।