

गोरखपुर के गोला विकास खंड में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों को प्राकृतिक खेती, वैज्ञानिक तकनीकों, सरकारी योजनाओं और कृषि यंत्रों के महत्व की जानकारी दी गई।
अपर जिला कृषि अधिकारी रामाधार यादव ने दी जानकारी
Gorakhpur: देश और प्रदेश के हर नागरिक को पौष्टिक व शुद्ध भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्राकृतिक और जैविक खेती को अपनाने की जरूरत है। साथ ही, किसानों की आय बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक तकनीकों, सरकार की योजनाओं, आधुनिक कृषि यंत्रों, संतुलित उर्वरकों और उन्नत बीजों का उपयोग आवश्यक है। इससे खाद्यान्न उत्पादन बढ़ेगा और कृषि उत्पादों का निर्यात भी बढ़ेगा। यह बातें पूर्व अपर जिला कृषि अधिकारी राम अधार यादव ने गोला विकास खंड के डाड़ी पंचायत भवन में आयोजित कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह प्रशिक्षण आत्मा योजना और प्राकृतिक खेती योजनांतर्गत आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान, पूर्व अपर जिला कृषि अधिकारी राम अधार यादव ने कहा कि धान और गेहूं की खेती के साथ-साथ पशुपालन, सब्जी उत्पादन, श्री अन्न (मोटा अनाज) की खेती, मत्स्य पालन और बागवानी जैसे क्षेत्रों में कार्य करने से किसानों की आय में वृद्धि होगी।
अन्य अधिकारियों ने भी दी जानकारी
वहीं इस प्रशिक्षण में सहायक विकास अधिकारी आलोक राय, भंडार प्रभारी राज नरायन यादव और भगवान दास ने प्राकृतिक खेती की योजनाओं, कृषि यंत्रों की उपयोगिता, कृषि निवेश, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, खरीफ फसलों की सफल खेती, फसल बीमा और फसल अवशेष प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी।
फार्मर रजिसट्री प्रक्रिया के महत्व पर डाला प्रकाश
इसके अलावा, कंप्यूटर ऑपरेटर पिंटू आर्य ने फार्मर रजिस्ट्री की प्रक्रिया और इसके महत्व पर प्रकाश डाला। इसी तरह, ककरही गांव में साधन सहकारी समिति परिसर में भी प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया। डाड़ी में कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम प्रधान राजेंद्र यादव ने की, जबकि ककरही में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि अमरेश शुक्ला ने अध्यक्षता की।
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित
जबकि, संचालन आलोक राय और धन्यवाद ज्ञापन राज नरायन यादव ने किया। कार्यक्रम में इंद्रेश शुक्ला, पंकज शुक्ला, अमृत सिंह, अनिल दुबे, विनय शुक्ला, सुधीर शुक्ला, माधुरी, सुनीता, भानमती, रामनिवास, शिवाकांत, शारदा, अशोक यादव, अरुण मिश्रा, गायत्री देवी और हरे राम सहित बड़ी संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया। इस प्रशिक्षण ने किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीकों के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बता दें कि कार्यक्रम के दौरान, किसानों को धान और गेहूं की खेती के साथ-साथ पशुपालन, सब्जी उत्पादन, श्री अन्न (मोटा अनाज) की खेती, मत्स्य पालन और बागवानी जैसे क्षेत्रों में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।