

यह पहली बार है, जब गांव में इतनी बड़ी संख्या में बंदरों की मौत हुई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज की यह रिपोर्ट
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बागपत: जिले के चांदीनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत भागोट गांव में उस समय सनसनी फैल गई, जब गांव के एक तालाब में 10 से अधिक बंदरों के शव तैरते हुए देखे गए। यह विचित्र और चिंताजनक दृश्य देखकर ग्रामीणों में दहशत फैल गई। तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी गई।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार, घटना की जानकारी मिलते ही चांदीनगर थाना प्रभारी संजय सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम मौके पर पहुंची। ग्रामीणों की सहायता से सभी मृत बंदरों को तालाब से बाहर निकाला गया। इसके बाद जेसीबी मशीन की मदद से गड्ढा खोदकर सभी शवों को दफनाया गया।
मौत की वजह बनी रहस्य
थाना प्रभारी संजय सिंह ने जानकारी दी कि मृत बंदरों के पोस्टमार्टम के लिए नमूने एकत्र कर जांच के लिए भेजे गए हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि बंदरों की मौत जहरीला पदार्थ खाने से हुई है या फिर किसी पर्यावरणीय या मौसमी कारण से। जांच के बाद ही वास्तविक स्थिति सामने आएगी।
गांव में तरह-तरह की चर्चाएं
इस घटना को लेकर गांव में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। ग्राम प्रधान पति काशीराम ने भी घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि यह पहली बार है, जब गांव में इतनी बड़ी संख्या में बंदरों की मौत हुई है। ग्रामीणों का मानना है कि किसी ने बंदरों को जानबूझकर जहरीला खाना खिला दिया होगा। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि हो सकता है कि तालाब का पानी किसी जहरीले तत्व से प्रदूषित हो गया हो या फिर मौसम में अचानक हुए बदलाव ने यह असर डाला हो।
वन विभाग से भी मांगी गई मदद
पुलिस प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग को भी सूचित किया है। वन विभाग की टीम द्वारा भी मौके का निरीक्षण किया गया है और बंदरों की मृत्यु के पीछे संभावित जैविक या रासायनिक कारणों की जांच की जा रही है।
पर्यावरण और पशु संरक्षण से जुड़ी चिंता
यह घटना न केवल स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है, बल्कि वन्यजीव और पशु संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं के लिए भी एक चेतावनी है। बंदरों की इस तरह सामूहिक मौत से पर्यावरणीय असंतुलन और इंसान-पशु संबंधों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
फिलहाल पुलिस और वन विभाग दोनों ही इस मामले की जांच में जुटे हैं और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय हो सकेगा कि यह एक सुनियोजित घटना है या प्राकृतिक आपदा का परिणाम।