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लखनऊ वालों को मोदी सरकार की सौगात, मेट्रो के लिए दिए 5801 करोड़ रुपये, अब विकास में लगेंगे चार चंद

केंद्रीय कैबिनेट ने 5,801 करोड़ रुपये की लागत से लखनऊ मेट्रो के फेज वन बी विस्तार को मंजूरी दे दी है। इस विस्तार के तहत 11.165 किलोमीटर लंबे गलियारे में 12 नए स्टेशन बनेंगे, जो पुराने लखनऊ के प्रमुख क्षेत्रों और पर्यटन स्थलों को मेट्रो नेटवर्क से जोड़ेगा। परियोजना से शहर के आवागमन और पर्यटन को बल मिलेगा।
Post Published By: Mayank Tawer
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लखनऊ वालों को मोदी सरकार की सौगात, मेट्रो के लिए दिए 5801 करोड़ रुपये, अब विकास में लगेंगे चार चंद

Lucknow News: केंद्रीय कैबिनेट ने लखनऊ मेट्रो के विस्तार से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के तहत लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के चरण-1बी (फेज वन-बी) को हरी झंडी दी गई है, जिसकी कुल लागत लगभग 5,801 करोड़ रुपये है। यह परियोजना लखनऊ मेट्रो के मौजूदा नेटवर्क को और मजबूत और व्यापक बनाएगी।

फेज वन-बी की मुख्य विशेषताएं

फेज वन-बी के तहत कुल 11.165 किलोमीटर लंबा नया मेट्रो गलियारा बनाया जाएगा। जिसमें 12 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा। इस विस्तार के साथ लखनऊ मेट्रो नेटवर्क कुल 34 किलोमीटर तक पहुंच जाएगा।

पुराने लखनऊ को मेट्रो से जोड़ेगा नया विस्तार

इस परियोजना का विशेष उद्देश्य पुराने लखनऊ के प्रमुख वाणिज्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों को मेट्रो नेटवर्क से जोड़ना है। इन इलाकों में अमीनाबाद, यहियागंज, पांडेगंज और चौक जैसे ऐतिहासिक और व्यस्त बाजार शामिल हैं। इन क्षेत्रों में मेट्रो आने से आवागमन में सुधार होगा और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

प्रमुख पर्यटन स्थल होंगे जुड़ाव में शामिल

फेज वन बी के बाद मेट्रो नेटवर्क से किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (मेडिकल कॉलेज) और लखनऊ के प्रमुख पर्यटक आकर्षण जैसे इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, भूल भुलैया, घंटाघर और रूमी दरवाजा भी जुड़ जाएंगे। इससे शहर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी बढ़ावा मिलेगा।

शहर की पाक-संस्कृति को भी मिलेगा फायदा

लखनऊ की समृद्ध खान-पान की विरासत के लिए प्रसिद्ध पाककला स्थल भी इस मेट्रो विस्तार का हिस्सा होंगे। जिससे यात्रियों को न केवल आवागमन में सुविधा होगी, बल्कि वे लखनऊ की पारंपरिक खाने-पीने की जगहों का भी आनंद ले सकेंगे।

परियोजना पर खर्च और प्रभाव

यह परियोजना लगभग 5,801 करोड़ रुपये की लागत से पूरी की जाएगी। इससे न केवल शहर का परिवहन तंत्र सुदृढ़ होगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और लखनऊ का शहरी विकास और बेहतर होगा।

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