

जिलाधिकारी द्वारा जनपद में साप्ताहिक बंदी का आदेश है। पर नगर पालिका क्षेत्र मे सातों दिन बाजार खुली रहती है। मामले की पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
साप्ताहिक बंदी के बावजूद खुली दुकानें ( सोर्स - रिपोर्टर )
महराजगंज: जिलाधिकारी द्वारा जनपद के सभी नगर निकायों में अलग-अलग दिनों में साप्ताहिक बंदी निर्धारित की गई है, जिसका उद्देश्य बाजारों में अनुशासन बनाए रखना और व्यापारियों को साप्ताहिक विश्राम देना है। लेकिन सिसवा नगर पालिका क्षेत्र में यह आदेश पूरी तरह से खारिज होता नजर आ रहा है। यहां साप्ताहिक बंदी रविवार को निर्धारित की गई है, बावजूद इसके बाजार सातों दिन पूरी तरह से खुली रहती है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन के आदेश के बावजूद साप्ताहिक बंदी का पालन न होने के पीछे सबसे बड़ा कारण श्रम विभाग की लापरवाही और निरीक्षण में घोर उदासीनता को बताया जा रहा है। दुकानदारों का कहना है कि जब निरीक्षण करने कोई नहीं आता, तो वह व्यापार बंद कर आर्थिक नुकसान क्यों उठाएं। यह स्थिति व्यापारियों की सुविधा और कानून के पालन के बीच असंतुलन को दर्शाती है।
इस संबंध में जब डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता ने जिला श्रम अधिकारी कार्यालय से फोन के माध्यम से संपर्क किया, तो वहां मौजूद लिपिक ने जानकारी दी कि पिछले एक साल से महराजगंज जिले में कोई नियमित श्रम अधिकारी तैनात नहीं है। लिपिक के अनुसार, कार्यालय का सामान्य कार्य और साप्ताहिक बंदी जैसे आदेशों के पालन की निगरानी प्रभावित हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में कुशीनगर जिले की कसया तहसील में तैनात श्रम अधिकारी को ही महराजगंज का अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया है, जिससे वह नियमित रूप से निरीक्षण नहीं कर पा रहे हैं।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि वे प्रशासन के आदेशों के सम्मान में साप्ताहिक बंदी के लिए तैयार हैं, लेकिन जब निरीक्षण या जागरूकता की कोई पहल नहीं हो रही, तो वे खुली दुकानें चलाने को मजबूर हैं। इससे न केवल शासन की व्यवस्था कमजोर हो रही है, बल्कि नियमों का उल्लंघन भी बढ़ता जा रहा है।
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों की मांग है कि महराजगंज जिले में एक स्थायी और सक्रिय श्रम अधिकारी की तैनाती की जाए, जो बंदी नियमों का सख्ती से पालन करवा सके। वहीं, जिला प्रशासन से भी अपेक्षा की जा रही है कि वह नगर निकायों में साप्ताहिक बंदी व्यवस्था की समीक्षा कर नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करे। यह मामला अब प्रशासनिक सुस्ती बनाम व्यापारी मनमानी का बनता जा रहा है, जिसमें आम जनता की सुविधा और कानूनी व्यवस्था दोनों दांव पर लगते नजर आ रहे हैं।