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यूपी के लखीमपुर खीरी जनपद में मेडिकल कॉलेज में ‘सबमंडिबुलर ग्रंथि’ सर्जरी सफल कर डॉक्टरों की टीम ने नया कीर्तिमान रच दिया है। पढे़ं डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर
प्रतीकात्मक छवि (फाटो सोर्स- इंटरनेट)
लखीमपुर खीरी: लखीमपुर खीरी मेडिकल कॉलेज से जुड़े जिला अस्पताल ने एक बार फिर चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां चिकित्सकों की संयुक्त टीम ने एक जटिल और दुर्लभ ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देकर यह सिद्ध कर दिया कि अब जटिल बीमारियों के इलाज के लिए मरीजों को मेट्रो शहरों का रुख करने की आवश्यकता नहीं है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह मामला गले की सबमंडिबुलर ग्रंथि (Submandibular Gland) में स्थित गांठ का था, जिसके लिए मरीज को पहले लखनऊ मेडिकल कॉलेज भेजे जाने की योजना थी। लेकिन मरीज की असमर्थता और अनुरोध को देखते हुए जिला अस्पताल लखीमपुर खीरी में ही ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के बाद जो सफलता मिली, वह पूरे जिले के लिए गर्व की बात बन गई।
इस चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन का नेतृत्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ आर.के. कोली और डॉ संतोष मिश्रा ने किया। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ मनोज शर्मा, जनरल सर्जन डॉ रामजी वर्मा, डॉ आलोक मौर्या, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ अरविंद दीक्षित और डॉ जयराम ने मिलकर टीम के रूप में अत्यंत सावधानी और सूझबूझ के साथ यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया।
डॉक्टरों की टीम ने की सबमंडिबुलर ग्रंथि की सफल ऑपरेशन
चिकित्सकों ने बताया कि सबमंडिबुलर ग्रंथि में गांठ होने पर उसे निकालना बेहद संवेदनशील प्रक्रिया होती है क्योंकि यह ग्रंथि कई महत्वपूर्ण नसों और रक्तवाहिनियों के समीप स्थित होती है। ऐसे में थोड़ी सी भी चूक जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए इस ऑपरेशन में विशेषज्ञता और कई विभागों के आपसी समन्वय की आवश्यकता होती है।
यह पहली बार नहीं है कि जिला अस्पताल में इतनी जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया हो। इससे पहले भी अस्पताल में थायरॉइड ग्रंथि में ‘फांसी कील’ का भी सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। इस तरह की उपलब्धियां जिला अस्पताल की चिकित्सा क्षमताओं को और अधिक मजबूत करती हैं और लोगों में सरकारी अस्पतालों के प्रति विश्वास भी बढ़ता है।
इस उपलब्धि के पीछे स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, लखीमपुर-खीरी की प्राचार्य डॉ वाणी गुप्ता की रणनीतिक सोच और प्रबंधन की भी अहम भूमिका रही। उनके नेतृत्व और अथक प्रयासों से आज जिला अस्पताल में ऐसे जटिल ऑपरेशन सुरक्षित और प्रभावी ढंग से किए जा पा रहे हैं।