भारत बंद का सोनभद्र में असर: सड़कों पर उतरे श्रमिक संगठन, कहा- ‘अब और नहीं सहेंगे अन्याय’

यूपी के सोनभद्र जनपद में भारत बंद के समर्थन में ट्रेड यूनियनों का जोरदार प्रदर्शन देखने को मिला, इतना ही नहीं सरकार पर कॉर्पोरेटपरस्ती का भी आरोप लगाया।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 9 July 2025, 3:39 PM IST
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Sonbhadra: देशव्यापी भारत बंद के आह्वान के तहत बुधवार को सोनभद्र में विभिन्न ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों ने कलेक्ट्रेट परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया। श्रमिक हितों की अनदेखी और केंद्र सरकार की कथित कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ दर्जनों मजदूर और संगठन कार्यकर्ता पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे और जमकर नारेबाजी की।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार पर श्रमिक विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन 25,000 रुपय करने, ठेका प्रथा खत्म करने और श्रमिकों को स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा देने जैसी प्रमुख मांगें रखीं। प्रदर्शन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), सीटू (CITU), इंटक (INTUC) सहित कई संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।

विपक्षी दल भी आए समर्थन में

प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), वामपंथी दलों सहित कई विपक्षी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी कलेक्ट्रेट पहुंचे। सभी ने एकजुट होकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की और श्रमिकों के साथ खड़े होने का भरोसा दिलाया।

सीपीआई नेता आर.के. शर्मा ने कहा, यह बंद मजदूरों की आवाज है जिसे सरकार लगातार अनसुना कर रही है। सरकार कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचा रही है, जबकि देश का असली निर्माण करने वाले मजदूरों की उपेक्षा की जा रही है।

Impact of Bharat Bandh in Sonbhadra

विपक्ष भी उतरा मजदूरों के समर्थन में

भारत बंद का व्यापक असर

ट्रेड यूनियनों ने दावा किया कि भारत बंद का असर पूरे देश में महसूस किया जा रहा है और इस कारण से करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है। कई जगहों पर उत्पादन ठप हुआ, ट्रांसपोर्ट सेवाएं बाधित रहीं और बाजारों में सन्नाटा देखने को मिला।

सोनभद्र में भी भारत बंद का आंशिक असर देखा गया, जहां कुछ दुकानों और निजी प्रतिष्ठानों ने ऐच्छिक रूप से अपने शटर बंद रखे। हालांकि, प्रशासन ने सार्वजनिक सेवाओं को सुचारू बनाए रखने के लिए विशेष प्रबंध किए थे। जिले में किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है।

प्रदर्शन की प्रमुख मांगें

  • मजदूरों के लिए 25,000 रुपय मासिक न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया जाए
  • ठेका प्रथा को समाप्त किया जाए और स्थायी रोजगार दिया जाए
  • सभी श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में शामिल किया जाए
  • नए श्रम कानूनों को रद्द किया जाए, जिन्हें श्रमिक विरोधी बताया गया है

प्रशासन रहा सतर्क

प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन की ओर से कलेक्ट्रेट परिसर और आस-पास के इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। किसी भी तरह की अव्यवस्था से निपटने के लिए मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारियों को मौके पर मौजूद रखा गया था।

प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन सरकार के खिलाफ श्रमिक संगठनों का यह आक्रोश आने वाले समय में और तेज होने के संकेत दे रहा है। यदि मांगें नहीं मानी गईं तो संगठनों ने आने वाले समय में और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।

भारत बंद और श्रमिक प्रदर्शन ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि देश के विकास में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले मजदूरों को क्या उनका हक मिल रहा है?

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