गोरखपुर के गोला सीएचसी का हेल्थ एटीएम बना शोपीस, मरीजों को नहीं मिल पा रही सुविधा

गोरखपुर में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हेल्थ एटीएम, गोला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शोपीस बनकर रह गई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 18 May 2025, 2:57 PM IST
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गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ग्रामीण क्षेत्र में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हेल्थ एटीएम, गोला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में शोपीस बनकर रह गई है। जहां, 48 तरह की मुफ्त जांचों के लिए स्थापित यह मशीन संसाधनों और तकनीकी स्टाफ की कमी के चलते मरीजों के लिए किसी काम की नहीं रह गई है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, हेल्थ एटीएम से ब्लड प्रेशर, शुगर, हीमोग्लोबिन, कोलेस्ट्रॉल, ऑक्सीजन लेवल सहित अन्य जांचें होनी थीं। लेकिन न तो मशीन चलाने के लिए कोई प्रशिक्षित ऑपरेटर है और न ही जरूरी टेस्ट स्ट्रिप्स और केमिकल उपलब्ध हैं। इसके कारण मरीजों को पुराने मैनुअल तरीकों से जांच करानी पड़ रही है, जिससे समय भी अधिक लगता है और सटीकता भी प्रभावित होती है।

मरीज हुए मायूस

फिलहाल, सीएचसी के लैब तकनीशियन हेल्थ एटीएम की देखरेख कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इसका संचालन करने का पूर्ण प्रशिक्षण नहीं मिला है। उनका कहना है कि मशीन तो स्थापित कर दी गई, लेकिन जांच के लिए आवश्यक संसाधन अब तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। ऐसे में दूर-दराज से आने वाले गरीब मरीज निराश होकर लौटने को मजबूर हैं।

जानिए क्या बोले सीएचसी अधीक्षक?

दूसरी तरफ, सीएचसी गोला के अधीक्षक डॉ. अमरेंद्र नाथ ठाकुर ने बताया कि प्रशिक्षित ऑपरेटर की तैनाती और आवश्यक केमिकल की आपूर्ति के लिए कई बार जिला प्रशासन को पत्र लिखा गया, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि रीजेंट्स के भंडारण के लिए बड़ा फ्रीजर नहीं होने के कारण उपलब्ध केमिकल जल्दी खराब हो जाते हैं। कई जरूरी जांचों के लिए रीजेंट्स भी उपलब्ध नहीं हैं।

मजबूरी में लेना पड़ रहा निजी लैब का सहारा

वहीं हेल्थ एटीएम का लाभ न मिलने से मरीजों को मजबूरी में निजी लैब में महंगी जांच करानी पड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की यह योजना कागजों पर तो आकर्षक लगती है, लेकिन जमीन पर हकीकत बिल्कुल उलट है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से हेल्थ एटीएम को शीघ्र क्रियाशील बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक प्रशिक्षित ऑपरेटर, टेस्ट स्ट्रिप्स, केमिकल और फ्रीजर की व्यवस्था नहीं होती, तब तक यह योजना बेअसर ही बनी रहेगी।

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