हिंदी
न्यायालय के आदेश पर गोला पुलिस ने जानीपुर स्थित गौरव मोटर के प्रोपराइटर गौरव शुक्ला के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि मोटर विक्रेता ने गगहा थाना क्षेत्र के ग्राम अवस्थी निवासी मिंटू पांडेय पुत्र रमाशंकर पांडेय को फर्जी इंश्योरेंस पेपर उपलब्ध कराए, वहीं बाइक का आरसी और रजिस्ट्रेशन कागजात न देकर धोखाधड़ी की। पढिए पूरी खबर
गोरखपुर: न्यायालय के आदेश पर गोला पुलिस ने जानीपुर स्थित गौरव मोटर के प्रोपराइटर गौरव शुक्ला के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि मोटर विक्रेता ने गगहा थाना क्षेत्र के ग्राम अवस्थी निवासी मिंटू पांडेय पुत्र रमाशंकर पांडेय को फर्जी इंश्योरेंस पेपर उपलब्ध कराए, वहीं बाइक का आरसी और रजिस्ट्रेशन कागजात न देकर धोखाधड़ी की। इतना ही नहीं, जब पीड़ित ने कागजात की मांग की तो उसे जान से मारने की धमकी भी दी गई।
क्या है पूरा मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मिंटू पांडेय ने 29 अक्टूबर 2024 को गौरव मोटर से लोन पर एक बाइक खरीदी थी। विक्रेता द्वारा बिक्री के समय केवल इंश्योरेंस पेपर दिए गए, लेकिन रजिस्ट्रेशन कॉपी और नंबर प्लेट उपलब्ध नहीं कराए गए। प्रार्थी लगातार आरसी की मांग करता रहा, लेकिन उसे टाल दिया गया। इस बीच वह लोन की किश्तें चुकाता रहा।
बाइक सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्त
बीते 18 दिसंबर 2024 को उक्त बाइक सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गई और थाने में उठा ले जाई गई। जब पीड़ित ने इंश्योरेंस क्लेम के लिए कंपनी से संपर्क किया तो वहां यह खुलासा हुआ कि दिए गए इंश्योरेंस पेपर फर्जी हैं। इसी आधार पर पुलिस ने बाइक को सीज कर लिया। पीड़ित का आरोप है कि गौरव मोटर संचालक ने पूरे षड्यंत्र के तहत उसे फर्जी बीमा पेपर थमा दिए, वहीं रजिस्ट्रेशन कागजात और नंबर प्लेट भी कभी उपलब्ध नहीं कराए। मामले को लेकर जब उसने बार-बार पूछताछ की तो विक्रेता ने उसे धमकाते हुए कहा कि ज्यादा दबाव डाला तो जान से हाथ धोना पड़ेगा।
गोरखपुर में राष्ट्रीय खेल दिवस पर हॉकी प्रतियोगिता का भव्य आयोजन, विधायक और डीएम ने किया उद्घाटन
विक्रेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज
मामले की गंभीरता को देखते हुए पीड़ित ने न्यायालय की शरण ली। मा. न्यायालय ने पूरे प्रकरण पर संज्ञान लेते हुए गोला थाने को विक्रेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किया। आदेश के अनुपालन में गोला पुलिस ने गौरव शुक्ला के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 336(3), 318(4), 319(2), 336(3), 351(3), 338 और 340(2) के तहत मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना शुरू कर दी है।
स्थानीय स्तर पर यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि मोटर डीलरशिप पर आम लोग विश्वास करके वाहन खरीदते हैं। ऐसे में कूट रचित बीमा दस्तावेज और रजिस्ट्रेशन न देने जैसे गंभीर आरोप ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा और अधिकारों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।