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गोरखपुर: सूरजकुंड ओवर ब्रिज पर चीनी मांझे का खूनी तांडव: युवक की गर्दन कटी, हालत नाजुक

तिवारीपुर थाना क्षेत्र के सूरजकुंड ओवर ब्रिज पर मंगलवार की शाम एक खौफनाक मंजर सामने आया। 25 वर्षीय अमित गुप्ता अपनी मां के साथ बाइक से घर लौट रहे थे, तभी अचानक हवा में लटक रहा चीनी मांझा उनकी गर्दन से टकरा गया। पल भर में गर्दन से खून की धार फूट पड़ी और बाइक असंतुलित होकर रुक गई। मां चीख पड़ी और राहगीरों में अफरा-तफरी मच गई।
Post Published By: Poonam Rajput
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गोरखपुर: सूरजकुंड ओवर ब्रिज पर चीनी मांझे का खूनी तांडव: युवक की गर्दन कटी, हालत नाजुक

Gorakhpur: तिवारीपुर थाना क्षेत्र के सूरजकुंड ओवर ब्रिज पर मंगलवार की शाम एक खौफनाक मंजर सामने आया। 25 वर्षीय अमित गुप्ता अपनी मां के साथ बाइक से घर लौट रहे थे, तभी अचानक हवा में लटक रहा चीनी मांझा उनकी गर्दन से टकरा गया। पल भर में गर्दन से खून की धार फूट पड़ी और बाइक असंतुलित होकर रुक गई। मां चीख पड़ी और राहगीरों में अफरा-तफरी मच गई।

स्थानीय लोगों ने तुरंत अमित को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां हालत गंभीर होने पर उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। वहां समुचित इलाज न मिलने के बाद परिजन उन्हें खजांची चौराहे के एक निजी अस्पताल ले गए। डॉक्टरों के मुताबिक, गले की पांच नसों में से चार कट चुकी थीं, और ऑपरेशन के बाद भी हालत नाजुक बनी हुई है। अमित पेशे से इलेक्ट्रीशियन हैं, लेकिन अब जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं

खुलेआम बिक रहा है ‘मौत का मांझा’

सरकार ने चीनी मांझे पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया है। बावजूद इसके शहर के बाजारों में यह जानलेवा धागा खुलेआम बिक रहा है। परिजनों और स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि प्रशासन तब तक जागता नहीं जब तक किसी की जान न चली जाए। आए दिन लोग घायल हो रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। एक ओर सरकार कागजों में प्रतिबंध दिखा रही है, दूसरी ओर जमीनी हकीकत बेहद डरावनी है। यह हादसा किसी एक की नहीं, पूरे सिस्टम की असफलता की गवाही दे रहा है।

उठी कड़ी कार्रवाई की मांग

घटना के बाद स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों में आक्रोश है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि:चीनी मांझे की बिक्री पर सख्त निगरानी रखी जाए पतंगबाजों की पहचान कर उन पर कार्रवाई की जाए।सार्वजनिक स्थलों पर मांझे की जांच अभियान चलाया जाए।भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए स्थायी व्यवस्था की जाए।

प्रशासन की नींद कब टूटेगी?

सवाल उठता है कि एक जान जाने के बाद ही क्यों जागता है सिस्टम? कब तक प्रशासन हादसों के बाद “कार्रवाई का आश्वासन” देता रहेगा? सूरजकुंड ओवर ब्रिज पर हुआ यह हादसा एक चेतावनी है — चीनी मांझा अब सिर्फ गले नहीं काट रहा, व्यवस्था की गर्दन भी रेत रहा है। अब जरूरी है कि प्रशासन सिर्फ दिखावे की जगह जमीनी कार्रवाई करे, वरना अगला नंबर किसका होगा कोई नहीं जानता।

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