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गोरखपुर: साइबर अपराधों को लेकर जागरूकता कार्यक्रम, दी ये सीख

तेजी से बढ़ते डिजिटल युग में साइबर अपराधों का खतरा भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए साइबर सेल अपराध शाखा जनपद गोरखपुर द्वारा मंगलवार को मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी), गोरखपुर में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
Post Published By: Jay Chauhan
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गोरखपुर: साइबर अपराधों को लेकर जागरूकता कार्यक्रम, दी ये सीख

Gorakhpur: तेजी से बढ़ते डिजिटल युग में साइबर अपराधों का खतरा भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए साइबर सेल अपराध शाखा जनपद गोरखपुर द्वारा मंगलवार को मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी), गोरखपुर में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और युवाओं को साइबर अपराध से बचाव के प्रति जागरूक करना रहा।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर राज करन न्यूड के निर्देशन और पुलिस अधीक्षक (अपराध) के पर्यवेक्षण में आयोजित इस कार्यक्रम में साइबर सेल अपराध शाखा टीम और पुलिस चौकी इंजीनियरिंग कॉलेज की टीम ने मिलकर साइबर अपराध से जुड़ी विभिन्न गंभीर चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

टीम ने विशेष रूप से डिजिटल अरेस्ट, म्यूल अकाउंट्स और सोशल मीडिया सुरक्षा के पहलुओं को विस्तार से समझाया।

कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि कैसे धोखेबाज खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर डरा-धमकाकर पैसे ऐंठते हैं। इसके अलावा ‘म्यूल अकाउंट’ यानी बैंक खाते का दुरुपयोग कर अपराधी वित्तीय फ्रॉड को अंजाम देते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती धोखाधड़ी, फेक प्रोफाइल, ओटीपी स्कैम और फिशिंग जैसे मामलों पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

अधिकारियों ने बताया कि किसी भी साइबर फ्रॉड या ऑनलाइन ठगी के शिकार होने पर तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें। जल्द से जल्द रिपोर्ट करने पर धन की रिकवरी की संभावना बढ़ जाती है।

इस मौके पर छात्रों ने भी साइबर अपराध से जुड़ी समस्याओं और शंकाओं पर सवाल पूछे, जिनका विशेषज्ञों ने सरल और व्यावहारिक तरीके से समाधान बताया।

पुलिस अधिकारियों ने युवाओं से अपील की कि वे इंटरनेट का उपयोग सतर्कता और सजगता के साथ करें, किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी सत्यता जांचें और सोशल मीडिया पर अपनी निजी जानकारी साझा करने में सावधानी बरतें।

यह जागरूकता कार्यक्रम छात्रों और शिक्षकों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि साइबर सुरक्षा के प्रति गंभीर चेतावनी भी साबित हुआ।

 

 

 

 

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