

गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन पर होनहार छात्र के भविष्य से खिलवाड़ का बड़ा आरोप लगा है। देबेन्द्र प्रताप सिंह ने की कड़ी कार्रवाई की मांग, क्लासिकल मेकॅनिक्स के पेपर में लिखित परीक्षा में 75 में से मात्र 34 अंक प्राप्त किए, जबकि आंतरिक मूल्यांकन में 25 में से केवल 1 अंक दिया गया। पढिए पूरी खबर
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य देबेन्द्र प्रताप सिंह ने दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में एम.एस-सी. गणित के चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र आयुष मिश्रा के साथ हुए अमानवीय व्यवहार पर गहरा संज्ञान लिया है। सिंह ने बताया कि आयुष मिश्रा, जो कि अत्यंत मेधावी छात्र हैं, जिनके पहले तीन सेमेस्टर के अंक क्रमशः 73%, 79%, और 79.16% हैं, उन्हें चतुर्थ सेमेस्टर में क्लासिकल मेकॅनिक्स विषय में अनुचित रूप से परीक्षा में बेहद कम अंक देकर फेल कर दिया गया।
क्या है पूरी खबर
आयुष मिश्रा ने बताया कि उन्होंने क्लासिकल मेकॅनिक्स के पेपर में लिखित परीक्षा में 75 में से मात्र 34 अंक प्राप्त किए, जबकि आंतरिक मूल्यांकन में 25 में से केवल 1 अंक दिया गया। छात्र का आरोप है कि यह अंकांकन जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया, ताकि उसका उज्ज्वल भविष्य प्रभावित हो। पीड़ित छात्र ने विश्वविद्यालय के कुलपति और परीक्षा नियंत्रक से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन उसकी बातों को अनसुना कर दिया गया। इसके बजाय, उसे धमकियां दी गईं और मामले को दबाने का प्रयास किया गया।
गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन पर छात्र के भविष्य से खिलवाड़ का आरोप,देबेन्द्र प्रताप सिंह ने की ये मांग@Uppolice #Gorakhpur #university pic.twitter.com/RRXNq9zcft
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 6, 2025
विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की
इस संबंध में गहरी व्यथित और मर्माहत होते हुए, सदस्य विधान परिषद् देबेन्द्र प्रताप सिंह ने तत्काल संज्ञान लिया। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर, सदोष एवं संज्ञेय अपराध है, जो न केवल शिक्षा व्यवस्था की गरिमा को आहत करता है, बल्कि एक युवा का उज्ज्वल भविष्य छीनने के समान है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की है कि पीड़ित छात्र के उत्तरपुस्तिका की पुनः स्वतंत्र जांच कराई जाए, ताकि निष्पक्षता स्थापित हो सके।
शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित...
सिंह ने पत्रकार वार्ता के माध्यम से स्पष्ट किया कि इस प्रकार के कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि विश्वविद्यालय प्रशासन उचित कार्रवाई नहीं करता है, तो यह मामला उच्च स्तरीय जांच और न्यायालय में भी पहुंचाया जाएगा। उन्होंने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियम बनाने तथा शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता जताई। समाज के जिम्मेदार नागरिकों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ अंक नहीं, बल्कि विद्यार्थियों का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करना है। देबेन्द्र प्रताप सिंह ने आश्वासन दिया कि वह पीड़ित छात्र आयुष मिश्रा के साथ हर संभव कानूनी सहायता प्रदान करेंगे ताकि उसका भविष्य सुरक्षित रहे और अन्य छात्रों के साथ ऐसा अन्याय न हो।
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