

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की बिंदकी तहसील में बंदरों का आतंक दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। कस्बों से लेकर दूरदराज के गांवों तक लोग इन आक्रामक बंदरों से परेशान हैं। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक कोई भी सुरक्षित नहीं है।
बिंदकी में बंदरों का आतंक
Fatehpur: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की बिंदकी तहसील में बंदरों का आतंक दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। कस्बों से लेकर दूरदराज के गांवों तक लोग इन आक्रामक बंदरों से परेशान हैं। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। स्कूल जाते बच्चों पर बंदरों के हमले आम हो गए हैं, वहीं घरों में काम करती महिलाएं भी भय के साये में जी रही हैं।
बिंदकी नगर के हर मोहल्ले में बंदरों का झुंड देखा जा सकता है। जहानाबाद के दारागंज, मलवा ब्लॉक के साईं, जलाला, शाहजहांपुर, कोरसम, अलीपुर और मौहार जैसे गांवों में बंदरों का जबरदस्त आतंक है। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों को स्कूल भेजते समय लाठी पकड़ा कर भेजना पड़ता है। महिलाएं छत पर कपड़े सुखाने या रसोई का काम करने में भी डर महसूस कर रही हैं।
बंदरों के हमलों से हर सप्ताह दर्जनों लोग घायल होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। गृहणियां आरती देवी, गुड्डी देवी और शशि सैनी बताती हैं कि बंदर रसोई में घुसकर खाना और सामान उठा ले जाते हैं। दुकानदार रामचंद्र सैनी ने बताया कि बंदर दुकान से सामान लेकर भाग जाते हैं, जिससे व्यापार प्रभावित हो रहा है।
इस समस्या से न केवल जनजीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है, बल्कि बच्चों की शिक्षा, व्यापार और घरेलू कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। ग्रामीण मयंक भदौरिया ने बताया कि लाठी के बिना बच्चों को स्कूल भेजना संभव नहीं है। वहीं, सीएचसी बिंदकी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. धर्मेंद्र पटेल ने बताया कि बंदरों के काटने पर एंटी रेबीज वैक्सीन की समुचित व्यवस्था अस्पताल में की गई है।
वन क्षेत्राधिकारी रविंद्र सिंह विष्ट ने बताया कि फिलहाल बंदरों को पकड़ने के लिए सरकार की ओर से कोई विशेष बजट नहीं मिला है। ऐसे में ग्रामीणों को सामुदायिक प्रयासों से ही समस्या का समाधान निकालने की सलाह दी गई है। हालांकि, लोगों ने प्रशासन से इस समस्या के स्थायी समाधान की मांग की है, ताकि वे भयमुक्त जीवन जी सकें।
ग्रामीणों की यह मांग वाजिब है और अब प्रशासन को भी इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।