

एल्विश यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
एल्विश यादव को हाईकोर्ट से झटका
प्रयागराज: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और यूट्यूबर एल्विश यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने एल्विश यादव की रेव पार्टी में ड्रग्स और सांप के जहर के प्रयोग के आरोप में चार्जशीट और समन रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया है। यह मामला पिछले कुछ महीनों से सुर्खियों में था और अब इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई की। न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने एल्विश यादव की याचिका को खारिज करते हुए चार्जशीट और समन को वैध माना। याचिका में एल्विश यादव ने अपनी ओर से आरोपों को चुनौती दी थी और चार्जशीट व समन रद्द करने की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने उनकी दलील को नकारते हुए यह फैसला सुनाया कि चार्जशीट और समन के खिलाफ कोई कानूनी आधार नहीं है।
एफआईआर और आरोप
यह मामला नोएडा के सेक्टर 49 का है, जहां 3 नवंबर 2023 को पेट एनिमल वेलफेयर ऑफिसर गौरव गुप्ता ने एल्विश यादव और उनके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि एल्विश यादव ने एक रेव पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें ड्रग्स और स्नेक वेनम (सांप का जहर) का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही आरोप था कि इस पार्टी में जिंदा सांपों के साथ वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी, जो कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और एनडीपीएस अधिनियम का उल्लंघन है।
एल्विश यादव की दलीलें
एल्विश यादव की ओर से अदालत में यह दलील दी गई थी कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत एफआईआर दर्ज करने वाला व्यक्ति सक्षम नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास से किसी भी प्रकार का सांप या नशीला पदार्थ बरामद नहीं हुआ है। इसके अलावा, एल्विश ने यह भी दावा किया कि उनके और अन्य सह-अभियुक्तों के बीच किसी प्रकार के संबंध का स्थापना नहीं हुआ है। एल्विश ने यह भी कहा कि गौरव गुप्ता जो कि एफआईआर में आरोपी थे, वह अब पशु कल्याण अधिकारी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने खुद को इस पद पर रहते हुए एफआईआर दर्ज कराई, जो कि कानूनी दृष्टिकोण से गलत था।
मीडिया और पुलिस के खिलाफ एल्विश का आरोप
एल्विश की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि मीडिया में उनका नाम आने के बाद पुलिस ने उनका नाम लेने के बजाय मामले को अधिक संवेदनशील बना दिया। उनका यह भी कहना था कि पुलिस ने एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27 और 27 ए के तहत आरोप लगाए थे, लेकिन पुलिस उन आरोपों को साबित करने में असफल रही और इन्हें बाद में हटा दिया गया।
कोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई में एल्विश यादव की दलीलों को नकारते हुए कहा कि इस मामले में आरोपों के खिलाफ कोई ठोस कानूनी आधार नहीं है और चार्जशीट और समन को वैध माना। अब एल्विश यादव के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी, और वह इस मामले में अदालत में पेश होंगे।