ड्रग तस्करी या वैध व्यापार? कफ सिरप कांड में हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित, गाजियाबाद से बांग्लादेश तक फैला था नेटवर्क

कोडीनयुक्त कफ सिरप कांड में हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। शुभम जायसवाल समेत 40 आरोपियों को फिलहाल गिरफ्तारी से राहत मिली हुई है। मामला अंतरराज्यीय तस्करी और फर्जी दस्तावेजों से जुड़ा बताया जा रहा है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 19 December 2025, 2:11 PM IST

Prayagraj: प्रदेश के चर्चित कोडीनयुक्त कफ सिरप कांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें विस्तार से सुनीं और उसके बाद निर्णय रिजर्व कर दिया। वाराणसी के शुभम जायसवाल समेत 40 आरोपियों ने अपने खिलाफ प्रदेश के विभिन्न जिलों में दर्ज मामलों को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की है। हाईकोर्ट ने फिलहाल आरोपियों की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा रखी है।

सुनवाई में क्या-क्या दलीलें रखी गईं?

याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में तथ्यों का अभाव है और एक ही मामले को आधार बनाकर अलग-अलग जिलों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जो कानूनन गलत है। वकीलों ने कहा कि व्यापारिक गतिविधियों को आपराधिक रंग दिया गया है और वैध लाइसेंस व दस्तावेजों के आधार पर दवाओं की सप्लाई की गई थी।

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25 हजार का इनामी शुभम जायसवाल

कोडीनयुक्त कफ सिरप कांड की जांच के दौरान यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के आलमबाग के पास से सहारनपुर निवासी दो अभियुक्तों अभिषेक शर्मा और शुभम शर्मा को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में 25 हजार रुपये के इनामी शुभम जायसवाल का पूरा नेटवर्क उजागर हुआ। दोनों अभियुक्तों ने एसटीएफ को बताया कि वे विशाल और विभोर राणा के लिए काम करते थे और इनका व्यापारिक संबंध शुभम जायसवाल से था। जांच में सामने आया कि विशाल, विभोर और शुभम मिलकर कोडीनयुक्त कफ सिरप की तस्करी करते थे। यह सिरप वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर और आगरा समेत कई शहरों से फर्जी ई-वे बिल के जरिए बंगाल और अन्य राज्यों में भेजा जाता था।

फर्जी ई-वे बिल और अंतरराज्यीय सप्लाई

एसटीएफ की जांच के मुताबिक, तस्करी का यह नेटवर्क बेहद संगठित था। फर्जी दस्तावेज और ई-वे बिल तैयार कर सिरप को वैध माल के रूप में दिखाया जाता था। विशाल और विभोर राणा के नेटवर्क के जरिये यह सिरप देश के कई राज्यों तक पहुंचता था। बाद में शुभम जायसवाल ने अपने पिता भोला जायसवाल के नाम पर रांची में एबॉट कंपनी की सुपर स्टॉकिस्टशिप हासिल कर ली और धीरे-धीरे अपने पुराने साझेदारों से दूरी बना ली।

सुपर स्टॉकिस्ट बनने के बाद और मजबूत हुई सप्लाई चेन

जांच एजेंसियों के अनुसार, सुपर स्टॉकिस्ट बनने के बाद शुभम जायसवाल की सप्लाई चेन पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गई। लाइसेंस और वैध दस्तावेजों की आड़ में वह बड़े पैमाने पर कफ सिरप की सप्लाई को कानूनी शिपमेंट के रूप में दिखाने लगा। सहारनपुर से गिरफ्तार अभियुक्तों ने यह भी बताया कि रांची से कई खेप सीधे यूपी और हरियाणा रूट पर भेजी गई थीं।

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गाजियाबाद में बनाया गया था गोदाम

ड्रग विभाग की जांच में एक और अहम तथ्य सामने आया। शुभम जायसवाल ने अपनी फर्म ‘शैली ट्रेडर्स’ के नाम पर हिमाचल प्रदेश की एक फर्म से कफ सिरप मंगाया और उसे गाजियाबाद स्थित एक गोदाम में स्टोर किया। इसके बाद फर्जी फर्मों के कागजात तैयार कर सिरप को आगरा, लखनऊ और वाराणसी तक सप्लाई किया जाता था।

ड्रग माफिया बनाम वैध व्यापार की बहस

यह मामला अब अदालत में ड्रग माफिया और वैध दवा व्यापार की बहस का रूप ले चुका है। एक तरफ आरोपी खुद को वैध कारोबारी बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ जांच एजेंसियां इसे संगठित तस्करी करार दे रही हैं। हाईकोर्ट का फैसला यह तय करेगा कि एफआईआर रद्द होगी या जांच को आगे बढ़ने का रास्ता मिलेगा।

फैसले पर टिकी सभी की नजरें

हाईकोर्ट द्वारा फैसला सुरक्षित किए जाने के बाद अब सभी की नजरें अदालत के अंतिम निर्णय पर टिकी हैं। यदि एफआईआर रद्द होती है तो आरोपियों को बड़ी राहत मिल सकती है, वहीं यदि याचिकाएं खारिज होती हैं तो जांच एजेंसियों की कार्रवाई और तेज हो सकती है।

Location : 
  • Prayagraj

Published : 
  • 19 December 2025, 2:11 PM IST