

महराजगंज में एक मार्मिक घटना ने समाज की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया, जब पिता के शव को दो दिन तक ठेले पर ढोते तीन मासूमों को किसी ने मदद नहीं दी। तब दो मुस्लिम भाइयों ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए पूरे हिंदू रीति से अंतिम संस्कार कराया।
अपने पिता की लाश के साथ दोनों बच्चे
Maharajganj: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के नौतनवा क्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा के पास एक ऐसी मार्मिक घटना सामने आई, जिसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया। जहां अपनों ने मुंह मोड़ लिया। वहीं दो मुस्लिम युवकों ने मानवता की मिसाल पेश की और धर्म की दीवार को तोड़कर मदद का हाथ बढ़ाया।
तीन बच्चे हुआ अनाथ
राजेंद्र नगर नौतनवा निवासी लव कुमार पटवा का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। कुछ महीने पहले ही उनकी पत्नी का भी देहांत हो चुका था। अब पीछे बच गए तीन मासूम 14 वर्षीय राजवीर, 10 वर्षीय देवराज और उनकी छोटी बहन, जो अब पूरी तरह बेसहारा हो चुके हैं। पिता की मौत के बाद बच्चों को उम्मीद थी कि समाज और रिश्तेदार आगे आएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
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दो दिनों तक कोई नहीं आया
पैसे और संसाधनों की कमी के चलते बच्चों ने दो दिन तक शव को घर में ही रखा, इस उम्मीद में कि कोई सहायता मिल जाएगी। जब कोई मदद नहीं आई, तब मजबूरी में उन्होंने अपने पिता के शव को उसी ठेले पर लाद दिया, जिससे लव कुमार पटवा वर्षों तक अपना घर चलाते रहे थे और निकल पड़े अंतिम संस्कार के लिए।
ना श्मशान और ना कब्रिस्तान में मिली जगह
श्मशान घाट पहुंचे तो वहां लकड़ी के अभाव में शव स्वीकार नहीं किया गया। बच्चों ने जब कब्रिस्तान का रुख किया तो वहां से भी लौटा दिया गया यह कहकर कि शव हिंदू का है, दफनाया नहीं जा सकता। इस पूरे वक्त तीनों मासूम अपने पिता के शव के साथ कभी इधर, कभी उधर भटकते रहे, लेकिन किसी ने भी मदद करने की जहमत नहीं उठाई।
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राशिद कुरैशी और वारिस कुरैशी ने बढ़ाया हाथ
ठेले पर पड़े शव और साथ में रोते हुए मासूम बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के दिलों को भले द्रवित कर रही थीं, लेकिन ज़मीनी हकीकत ये थी कि मदद के नाम पर कोई आगे नहीं आया। तभी इस खबर की सूचना नगर पालिका बिस्मिल नगर वार्ड के सभासद प्रतिनिधि राशिद कुरैशी और राहुल नगर वार्ड के सभासद वारिस कुरैशी को मिली।
मुस्लिम भाइयों ने हिंदू रीति-रिवाज से कराया अंतिम संस्कार
दोनों मुस्लिम भाई तुरंत मौके पर पहुंचे और पूरे हालात का जायज़ा लिया। उन्होंने न केवल शव को संभाला, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए आवश्यक लकड़ी और सामग्री का इंतज़ाम भी किया। फिर देर रात तक दोनों भाइयों ने लव कुमार पटवा का अंतिम संस्कार पूरे हिंदू रीति-रिवाज से कराया। इसके बाद वे तीनों बच्चों को सुरक्षित उनके घर भी छोड़कर आए।
राशिद कुरैशी ने क्या बताया?
राशिद कुरैशी ने बताया कि एक अनजान नंबर से उन्हें फोन आया कि एक ठेले पर तीन बच्चे शव लेकर मदद मांग रहे हैं। जब वे मौके पर पहुंचे तो देखा कि शव सड़ने लगा था और लोग दुर्गंध के कारण पास भी नहीं जा रहे थे। “यह नज़ारा देखकर रूह कांप गई। हमने मानव धर्म को निभाते हुए पूरा संस्कार करवाया।”