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महेवागंज में कारपेंटर के साथ एक दर्दनाक हादसा हुआ है, जहां मेडिकल कॉलेज में सर्जरी कर गर्दन में फंसी कील को निकाला गया। पूरी खबर के लिए पढे़ं डाइनामाइट न्यूज़
गर्दन में घुसी कील
लखीमपुर खीरी: तकनीक जितनी सहायक होती है, कभी- कभी एक चूक से उतनी ही घातक और जानलेवा भी हो जाती है। ऐसा ही एक मामला महेवागंज से सामने आया है, जहां फर्नीचर बनाने वाले कारपेंटर के साथ ऐसा ही खतरनाक हादसा हुआ। बता दें कि जब वह एक स्वचालित कील लगाने वाली मशीन से काम कर रहा था। अचानक मशीन में खराबी आ गई और एक कील तेज़ी से उल्टी दिशा में चलकर उसकी गर्दन में घुस गई।
थायरॉइड ग्रंथि में फंसी थी कील
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार घायल युवक दीपू (उम्र 28 साल) को स्वशासी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध जिला अस्पताल मोतीपुर ओयल लाया गया। मरीज पहले से एक्स रे करा कर लाया था, जांच करने में पता चला कि कील सीधी थायरॉइड ग्रंथि में जाकर फंस गई है। बता दें कि थायरॉइड ग्रंथि श्वास नली के ठीक पास स्थित होती है। यह स्थिति अत्यंत गंभीर थी, यदि व्यक्ति थोड़ी सी भी लापरवाही करता तो उसकी जान भी जा सकती थी।
जोखिम भरा था ऑपरेशन
इस नाजुक स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सहायक आचार्य ईएनटी सर्जन डॉ. मनोज शर्मा ने लोकल एनेस्थीसिया में ऑपरेशन किया और कील को सफलतापूर्वक बाहर निकाला। यह ऑपरेशन इतना जोखिम भरा था कि अगर डॉक्टर से भी कुछ गलती हो जाती तो व्यक्ति की जान जा सकती थी।
एक ही दिन में मिली मरीज को छुट्टी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऑपरेशन के बाद मरीज की स्थिति पूरी तरह सामान्य रही और उसे उसी दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। साथ ही किसी तरह की समस्या होने पर तत्काल दिखाने के लिए एडवाइस किया गया है।
ऑपरेशन को लेकर डॉ. शर्मा का बयान
मामले को लेकर डॉ. शर्मा ने बताया कि यह मामला दुर्लभ और चुनौतीपूर्ण था। कील श्वसन नली के एकदम पास में थी। ऑपरेशन के समय उन्हें काफी सावधानी बरतनी पड़ी ताकि कील निकालते समय कहीं श्वास नली में ना चली जाए।
मामले को लेकर प्रधानाचार्य डॉ वाणी ने क्या कहा ?
प्रधानाचार्य डॉ वाणी गुप्ता ने बताया कि इस घटना ने यह साबित कर दिया कि तकनीक का इस्तेमाल करते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए, जहां तक हो सके स्वचालित मशीनों को इस्तेमाल करते समय सुरक्षा उपकरण जरूर पहनें। किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे।
सीएमएस डॉ आरके कोली का बयान
वहीं सीएमएस डॉ आरके कोली ने बताया कि किसी भी दुर्घटना के बाद किसी की जान बचाने के लिए समय सबसे महत्वपूर्ण कारक यह है कि समय रहते मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाए। अधिकतर मामलों में मरीज की जान बच जाती है। ऐसे में जिला अस्पताल एवं हमारा स्टाफ हर समय किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं ने निपटने के लिए तैयार रहता है।