Chandauli: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन दिवसीय वाराणसी दौरे से पहले यूपी पुलिस ने कांग्रेस के चार प्रमुख नेताओं को हाउस अरेस्ट कर दिया है। बुधवार की देर रात से ये नेता अपने-अपने आवासों में नजरबंद हैं। यह कार्रवाई प्रशासन द्वारा प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान संभावित विरोध प्रदर्शनों को रोकने के मकसद से की गई है।
देर रात से आवासों में नजरबंद हैं नेता
नजरबंद किए गए नेताओं में मुगलसराय के पूर्व शहर अध्यक्ष रामजी गुप्ता, पीसीसी सदस्य आनंद शुक्ला, किसान कांग्रेस पूर्वी जोन के प्रदेश उपाध्यक्ष अकिल अहमद बाबू और उत्तर प्रदेश कांग्रेस सेवादल पूर्वी जोन के सतीश बिन्द शामिल हैं। चौकी इंचार्ज चन्धासी सुरेश पांडेय और हेड कांस्टेबल हरेंद्र यादव ने इन नेताओं को उनके आवासों पर ही नजरबंद किया है।
कांग्रेस नेताओं की नजरबंदी की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय स्तर पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र और संविधान पर हमला बताते हुए कड़ी आलोचना की है। पूर्व शहर अध्यक्ष रामजी गुप्ता ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि योगी-मोदी सरकार में लोकतंत्र का दमन हो रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता 11 सितंबर को वाराणसी में विरोध प्रदर्शन करने वाले थे, जिसे रोकने के लिए प्रशासन ने यह कदम उठाया है।
क्या सरकार को अपने कामकाज पर सवाल उठाने वाले विरोध बर्दाश्त नहीं?
रामजी गुप्ता ने आगे कहा, हाउस अरेस्ट की यह कार्रवाई दिखाती है कि सरकार को अपने कामकाज पर सवाल उठाने वाले किसी भी विरोध को बर्दाश्त नहीं है। हम लोकतंत्र के मूल्यों के लिए आवाज उठाते रहेंगे और दबाव में नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक दबाव की रणनीति है जिससे जनता की आवाज को दबाया जा रहा है।
मुगलसराय के कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताया है और तत्काल नेताओं की रिहाई की मांग की है। स्थानीय नागरिक भी इस कदम को लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन मान रहे हैं। वहीं पुलिस प्रशासन का कहना है कि यह कदम सार्वजनिक शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक था।
कांग्रेस नेताओं का आवाज दबाने की कोशिश?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी दौरा पूरे यूपी के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरे के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें जनसंपर्क के साथ-साथ विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भी शामिल है। प्रशासन का मानना है कि किसी भी विरोध प्रदर्शन से इस कार्यक्रम में बाधा आ सकती है, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक था।
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राजनीतिक गलियारे में इस नजरबंदी को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ का मानना है कि यह कदम सरकार की सख्ती का परिचायक है, जबकि कुछ इसे विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक उपाय मान रहे हैं। हालांकि कांग्रेस नेताओं और उनके समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई विरोध की आवाज को दबाने की कोशिश है।
मुगलसराय में कांग्रेस के नेता अब नजरबंदी की स्थिति में हैं, और उनका कहना है कि वे किसी भी परिस्थिति में अपने अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहेंगे। प्रशासन की इस कार्रवाई ने आगामी दिनों में राजनीतिक तनाव को बढ़ाने की संभावना जताई जा रही है।

