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छठ महापर्व देश के विभिन्न प्रांतों में लोक आस्था के साथ मनाया जा रहा है। देवरिया जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं सूर्य देव के अस्त होने के समय दीपक और अगरबत्ती जलाकर उनकी उपासना कर रही हैं। यह सामाजिक समरसता और पारिवारिक जुड़ाव को भी बढ़ावा देता है
छठ महापर्व की छटा
देवरिया (डाइनामाइट न्यूज): छठ महापर्व देश के विभिन्न प्रांतों में लोक आस्था के साथ मनाया जा रहा है। देवरिया जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं सूर्य देव के अस्त होने के समय दीपक और अगरबत्ती जलाकर उनकी उपासना कर रही हैं। इस अवसर पर भक्तजन परिवार की सुख-समृद्धि, भाइयों की दीर्घायु और समाज में सामंजस्य की कामना करते हैं।
सनातन धर्म में यह मान्यता है कि द्वापर युग में द्रौपदी ने अपने पांच पतियों, पांडवों, के साथ वनगमन के दौरान कठिन परिस्थितियों में सूर्य देव की उपासना की थी। द्रौपदी ने अपने पतियों के लिए दीर्घायु, स्वास्थ्य, बुद्धि, सामाजिक सामंजस्य और आत्मसुधार की कामना करते हुए भास्कर, सूर्य देव की पूजा की। यही कारण है कि आज भी छठ महापर्व में महिलाएं सूर्य देव से अपने भाइयों के दीर्घायु और स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
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लोक मान्यताओं के अनुसार छठ मैया और सूर्य देव का रिश्ता भाई-बहन के समान माना जाता है। इस परंपरा को लेकर महिलाएं अपने भाइयों के कल्याण और दीर्घायु के लिए विशेष उपासना करती हैं। यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
छठ महापर्व बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, नेपाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व परिवार और समाज को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी माना जाता है। महिलाएं इस अवसर पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय घाटों पर दीप जलाकर और अगरबत्ती अर्पित करके अपनी आस्था और परंपरा का पालन करती हैं।
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पांडवों के त्याग, बलिदान और धार्मिक संस्कारों के आधार पर स्थापित यह परंपरा आज भी समाज में महत्वपूर्ण मानी जाती है। छठ महापर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और पारिवारिक जुड़ाव को भी बढ़ावा देता है।