लावारिस मरीज की मौत, 11 घंटे तक वार्ड में सड़ता रहा शव, जिम्मेदार कानपुर मेडिकल कॉलेज में क्या होगा एक्शन?

जब मीडिया ने सवाल उठाए तो अस्पताल प्रबंधन ने सफाई में कहा कि मृतक को बेहतर इलाज के लिए रेफर करने की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन उपलब्धता के अभाव में एंबुलेंस नहीं मिल पाई। हालांकि, यह बात सवालों के घेरे में है कि मौत के बाद एंबुलेंस की आवश्यकता क्यों थी, जब शव को मोर्चरी पहुंचाना प्राथमिक जिम्मेदारी थी। प्रशासन ने यह भी स्वीकार किया कि “मौत के बाद शव को तुरंत हटाया जाना चाहिए था। इसमें लापरवाही हुई है।”

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 11 August 2025, 3:21 PM IST
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Kanpur News: कानपुर के अकबरपुर स्थित मेडिकल कॉलेज में शनिवार को सामने आई लापरवाही ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की संवेदनहीनता और अव्यवस्था को उजागर कर दिया। यहां एक लावारिस युवक की मौत के बाद उसका शव करीब 11 घंटे तक वार्ड के बेड पर पड़ा सड़ता रहा, लेकिन किसी जिम्मेदार ने उसे हटवाने की ज़रूरत नहीं समझी। जब बदबू असहनीय हो गई और मरीजों के तीमारदार हल्ला मचाने लगे, तब जाकर प्रशासन की नींद टूटी।

बेहोशी की हालत में छोड़ा गया युवक, इलाज के दौरान तोड़ा दम

शनिवार दोपहर लगभग 1:15 बजे कुछ लोग एक 25 वर्षीय युवक को बेहोशी की हालत में मेडिकल कॉलेज में छोड़कर चले गए। युवक की पहचान नहीं हो सकी, और उसके पास कोई पहचान पत्र भी नहीं था। उसे गंभीर हालत में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों ने भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया। हालांकि, तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और रात करीब 11 बजे उसने दम तोड़ दिया। मौत के बाद भी शव को वार्ड से हटाया नहीं गया। अस्पताल ने इसका कारण बताया कि रात की शिफ्ट में शव को मोर्चरी भेजने की व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी।

रातभर शव से उठती रही बदबू, तीमारदारों ने जताया विरोध

रविवार सुबह तक शव बेड पर पड़ा रहा। सुबह करीब 9 बजे नर्सिंग स्टाफ ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की मदद से शव को मोर्चरी भिजवाया और वार्ड की सफाई करवाई। लेकिन तब तक स्थिति बिगड़ चुकी थी। बदबू इतनी फैल चुकी थी कि वार्ड में भर्ती मरीजों और उनके साथ आए परिजनों को बाहर निकलना पड़ा। एक तीमारदार ने बताया, "रात में बदबू लगातार बढ़ती गई। हम लोग मरीज को लेकर बाहर बैठ गए, लेकिन किसी स्टाफ ने कोई कार्रवाई नहीं की।"

अस्पताल प्रशासन का अजीब तर्क: ‘एंबुलेंस नहीं मिली’

जब मीडिया ने सवाल उठाए तो अस्पताल प्रबंधन ने सफाई में कहा कि मृतक को बेहतर इलाज के लिए रेफर करने की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन उपलब्धता के अभाव में एंबुलेंस नहीं मिल पाई। हालांकि, यह बात सवालों के घेरे में है कि मौत के बाद एंबुलेंस की आवश्यकता क्यों थी, जब शव को मोर्चरी पहुंचाना प्राथमिक जिम्मेदारी थी। प्रशासन ने यह भी स्वीकार किया कि "मौत के बाद शव को तुरंत हटाया जाना चाहिए था। इसमें लापरवाही हुई है।"

जिलाधिकारी ने जताई नाराजगी, जांच के आदेश

घटना की जानकारी मिलते ही कानपुर के जिलाधिकारी ने गहरी नाराजगी जताई। इसके बाद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने मामले की जांच के आदेश देते हुए संबंधित कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। प्राचार्य ने बयान में कहा, "शव को समय से मोर्चरी नहीं भेजा जाना गंभीर लापरवाही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदारों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।"

सवाल जिनके जवाब बाकी हैं

  • क्या अस्पताल में रात की शिफ्ट में शव ले जाने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है?
  • अगर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी, तो शव को वैकल्पिक व्यवस्था से क्यों नहीं भेजा गया?
  • क्या इस तरह की लापरवाही बार-बार नहीं हो रही है, और फिर भी जिम्मेदार बचे रहते हैं?

Location : 
  • Kanpur

Published : 
  • 11 August 2025, 3:21 PM IST