काफिले के साथ घर पहुंचा शव, गांव में लगे “बलराम ठाकुर ज़िंदाबाद” के नारे, मां ने कहा- दरोगा तेरा घर डूबेगा

गाजियाबाद एनकाउंटर में मारे गए दुजाना गैंग के लीडर बलराम ठाकुर का शव जब उसके गांव पहुंचा तो वहां सैकड़ों की भीड़ उमड़ पड़ी। समर्थकों ने हुड़दंग और नारेबाजी की।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 22 September 2025, 11:06 AM IST
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Ghaziabad: गाजियाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शनिवार को कुख्यात अपराधी और अनिल दुजाना गैंग के नए मुखिया बलराम ठाकुर को एक मुठभेड़ में मार गिराया। बलराम पर ₹50,000 का इनाम था। उस पर हत्या, रंगदारी, लूट, अपहरण और फिरौती जैसे 34 से अधिक गंभीर मामले दर्ज थे। मुठभेड़ के बाद उसका शव सोमवार को बुलंदशहर जिले के जहांगीराबाद स्थित उसके पुश्तैनी घर पहुंचा, जहां उसका अंतिम दर्शन करने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

शव लाने में हुड़दंग, समर्थकों की नारेबाजी

बलराम का शव एम्बुलेंस में पुलिस सुरक्षा के साथ लाया गया, लेकिन उससे पहले और पीछे 4-5 गाड़ियों का काफिला था, जिसमें उसके समर्थक हुड़दंग मचाते, गाड़ियों से उतरकर नारेबाजी करते हुए पहुंचे। कारों की छतों पर चढ़कर युवक "बलराम ठाकुर ज़िंदाबाद", "ठाकुर साहब अमर रहें" जैसे नारे लगा रहे थे।

20 मिनट तक लगातार नारेबाजी की

जब शव को दरवाजे पर रखा गया तो महिलाओं की रोने की आवाज़ों के बीच युवकों ने 20 मिनट तक लगातार नारेबाजी की। हंगामे के बीच बिजली चली गई, जिसके बाद मोबाइल की टॉर्च जलाकर लोगों ने नारेबाजी जारी रखी।

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बलराम की मां का रो-रोकर बयान: "मेरे बेटे को मारी 8 गोलियां"

बलराम की 72 वर्षीय मां ने शव देखकर चीखते हुए कहा, "मेरा मेहनती बेटा था... मेरे बेटे को 8 गोलियां मारी गई। 4 गोलियों में उसका कुछ नहीं बिगड़ता। दरोगा से कह देना, तेरा घर डूबेगा। बहुत तगड़ा बेटा था मेरा।" बलराम की मां का बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

संपन्न किसान से अपराधी तक का सफर

बलराम ठाकुर के पिता श्याम सिंह एक संपन्न किसान थे, जिनके पास 48 बीघा जमीन थी। बलराम की शादी 1995 में हुई थी लेकिन 5 महीने बाद ही उस पर दहेज उत्पीड़न और मारपीट का आरोप लग गया। यही उसका पहला केस बना। इसके दो साल बाद 1997 में बलराम ने अपने साले रामवीर की हत्या कर दी और यहीं से उसका अपराधी जीवन शुरू हो गया।

जेल से लौटने के बाद बढ़ाया अपराध का साम्राज्य

जेल से छूटने के बाद बलराम ने अपराध की दुनिया में तेजी से पैर फैलाए। उसने लूट, फिरौती, रंगदारी और हत्या जैसे मामलों में खुद को सक्रिय कर लिया। पुलिस के मुताबिक वह वेस्ट यूपी से लेकर दिल्ली-NCR तक सक्रिय था।

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दुजाना गैंग की कमान अपने हाथ में ली

मई 2023 में जब कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना का एनकाउंटर हुआ। उसके बाद बलराम ने गैंग की कमान संभाल ली थी। वह जल्दी ही दुजाना गैंग का चेहरा बन गया था और दुजाना के नेटवर्क को फिर से खड़ा कर रहा था।

वर्तमान में नहीं थी कोई संपत्ति

बलराम के पिता की 2019 में मृत्यु हो चुकी है। अब घर में उसकी मां और छोटा भाई नीरज हैं, जो ट्रक ड्राइवर है। बलराम के नाम पर अब न जमीन है, न संपत्ति, बस 60 गज का पुराना मकान है जो उसकी मां के नाम पर है। जानकारी के मुताबिक बलराम का भाई नीरज पुलिस हिरासत में है।

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