तिहाड़ जेल से हटेंगी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें, दिल्ली हाई कोर्ट में उठा मुद्दा

दिल्ली हाई कोर्ट में तिहाड़ जेल परिसर से अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें हटाने की याचिका दायर की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन कब्रों की वजह से जेल परिसर कट्टरपंथियों का तीर्थस्थल बनता जा रहा है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 22 September 2025, 9:34 AM IST
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New Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट में एक अहम जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें तिहाड़ जेल परिसर में मौजूद आतंकवादियों अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रों को हटाने की मांग की गई है। यह याचिका "विश्व वैदिक सनातन संघ" नामक संगठन द्वारा दायर की गई है। संगठन का कहना है कि इन कब्रों की उपस्थिति न केवल असंवैधानिक है बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न करती है।

कौन थे अफजल गुरु और मकबूल भट्ट?

मोहम्मद मकबूल भट्ट को फरवरी 1984 में और अफजल गुरु को फरवरी 2013 में फांसी दी गई थी। अफजल गुरु को संसद पर 2001 में हुए हमले का दोषी पाया गया था जबकि मकबूल भट्ट जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का सह-संस्थापक था और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा था। दोनों की फांसी तिहाड़ जेल में दी गई थी और वहीं उन्हें दफनाया भी गया था, क्योंकि प्रशासन को उनके शव उनके परिजनों को सौंपना उचित नहीं लगा था।

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याचिकाकर्ता की मुख्य दलीलें

विश्व वैदिक सनातन संघ ने अदालत से आग्रह किया है कि तिहाड़ जेल में बनी इन कब्रों को तुरंत हटाया जाए या फिर उनके अवशेषों को किसी गुप्त और सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाए। याचिका में दावा किया गया है कि इन कब्रों की मौजूदगी ने तिहाड़ जेल को 'कट्टरपंथियों के लिए एक तीर्थस्थल' बना दिया है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि कुछ समूह इन कब्रों के पास इकट्ठा होकर आतंकियों का महिमामंडन करते हैं, जिससे न केवल आतंकवाद को बढ़ावा मिल सकता है, बल्कि जेल परिसर का दुरुपयोग भी हो रहा है। यह स्थिति भारत के संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता और कानून के शासन जैसे मूल सिद्धांतों के विपरीत है।

राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था पर चिंता

याचिकाकर्ता का कहना है कि आतंकियों की कब्रों को इस प्रकार सार्वजनिक या अर्ध-सार्वजनिक रूप से बनाए रखना देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे आने वाली पीढ़ियों में गलत संदेश जा सकता है और यह उग्र विचारधाराओं को बल देने का जरिया बन सकता है।

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क्या है याचिका का उद्देश्य?

याचिका में स्पष्ट किया गया है कि इस मांग का उद्देश्य केवल कब्रों को हटाना नहीं, बल्कि आतंकवाद और उग्रवाद से जुड़ी विचारधाराओं के प्रचार-प्रसार को रोकना भी है। साथ ही, यह कदम जेल परिसर की पवित्रता बनाए रखने और किसी भी संभावित राजनीतिक या वैचारिक दुरुपयोग को रोकने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।

अब क्या होगा?

दिल्ली हाई कोर्ट इस याचिका पर जल्द सुनवाई करेगा। अदालत को तय करना होगा कि क्या तिहाड़ जेल प्रशासन को इन कब्रों को हटाने या स्थानांतरित करने का आदेश दिया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया में कोर्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून व्यवस्था और संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप के बीच संतुलन बनाना होगा, जो एक जटिल और संवेदनशील मामला है।

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