गोरखपुर में बरती जा रही ये बड़ी लापरवाही, लोगों पर बन रहा जान का खतरा

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बिजली विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिससे जनता के मन में भय का माहौल है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

गोरखपुर: जनपद के गोला बाजार विद्युत उपकेंद्र की बदहाल व्यवस्था ने क्षेत्रवासियों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। लकड़ी के खंभों, ढीले लटकते तारों और टूटे खंभों के सहारे चल रही बिजली सप्लाई तेज हवाओं में बंद हो जाती है, वहीं शॉर्ट सर्किट से फसलों में आग लगने की घटनाएं आम हो चुकी हैं। बावजूद इसके, बिजली विभाग इन खतरों को गंभीरता से नहीं ले रहा, जिससे क्षेत्र में बड़ा हादसा होने का अंदेशा बना हुआ है।

4-5 फीट ऊपर लटक रहे हाईटेंशन तार

उपकेंद्र से मदरिया, पडौली और कस्बा फीडर के जरिए 365 मजरों में बिजली सप्लाई की जाती है। लेकिन मानकों की अनदेखी के चलते हाईटेंशन और एलटी तार ढीले होकर जमीन से मात्र कुछ फीट ऊपर लटक रहे हैं। उपकेंद्र के ठीक सामने रामजानकी मार्ग पर 33 हजार वोल्ट का लोहे का खंभा तेज हवाओं में पेड़ की तरह झूल रहा है, जो कभी भी बड़ा हादसा बन सकता है। नवली में 11 हजार वोल्ट का खंभा महीनों से टूटा पड़ा है, उपनगर में चिल्ड्रेन पब्लिक स्कूल के पीछे 11 हजार वोल्ट का तार जमीन से महज 5 फीट ऊपर लटक रहा है, जो बच्चों और राहगीरों के लिए खतरा बना हुआ है।

डाइनामाइट न्यूज संवादाता अनुसार सरया में गोला-हाटा मार्ग पर एलटी तार इतने नीचे हैं कि वाहनों के आवागमन में बाधा उत्पन्न हो रही है। बांहपुर में नहर किनारे किसानों अमरनाथ यादव, कृष्ण मुरारी यादव और रामसेवक यादव के खेतों से गुजरने वाले 11 हजार वोल्ट के तार इतने नीचे हैं कि ट्रैक्टर चलाने में दिक्कत हो रही है। नए खंभे गाड़े गए हैं। लेकिन पुराने लकड़ी के खंभों से तार हटाए नहीं गए।

विभाग की लापरवाही, हादसों का इंतजार

स्थानीय लोगों का कहना है कि बिजली विभाग शॉर्ट सर्किट की घटनाओं को तो स्वीकार करता है, लेकिन समाधान में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। क्षेत्रवासियों ने मांग की है कि ढीले तारों को तत्काल ठीक किया जाए और टूटे खंभों को बदला जाए, ताकि किसी बड़े हादसे को रोका जा सके।क्या कहते हैं

बिजली विभाग के अधिकारियों से इस बारे में जवाब मांगा गया, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। क्षेत्रवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।यह स्थिति न केवल गोला की जनता के लिए खतरा है, बल्कि बिजली विभाग की लापरवाही का जीता-जागता सबूत है। सवाल यह है कि क्या विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है

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