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विधानसभा के मानसून सत्र (11-13 अगस्त 2025) में वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। विधानसभा में 13 अगस्त को बांके बिहारी ट्रस्ट विधेयक 2025 ध्वनिमत से पारित कर हो गया।
बांके बिहारी ट्रस्ट विधेयक ध्वनि मत से हुआ पारित
मथुरा: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र (11-13 अगस्त 2025) में वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। विधानसभा में 13 अगस्त को बांके बिहारी ट्रस्ट विधेयक 2025 ध्वनिमत से पारित कर हो गया।
उद्देश्य मंदिर के प्रबंधन को पारदर्शी
यह विधेयक मंदिर की संपत्तियों और चढ़ावे पर ट्रस्ट का अधिकार सुनिश्चित करता है। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ट्रस्ट पर लगाई गई रोक के कारण, यह विधेयक अंतिम निर्णय के बाद ही लागू होगा। बांके बिहारी ट्रस्ट विधेयक 2025 क्या है? बांके बिहारी ट्रस्ट विधेयक 2025 वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर के प्रशासन, वित्तीय प्रबंधन और परिसर के विकास को सुव्यवस्थित करने के लिए इसे लाया गया है। यह विधेयक मंदिर की सभी चल-अचल संपत्तियों, चढ़ावे (जैसे आभूषण, बैंक ड्राफ्ट, चेक आदि) पर ट्रस्ट का पूर्ण नियंत्रण स्थापित करता है। इसका उद्देश्य मंदिर के प्रबंधन को पारदर्शी, व्यवस्थित और श्रद्धालुओं के हित में बनाना है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक...
इस विधेयक के तहत, मंदिर में आने वाला सारा चढ़ावा, जिसमें नकद, आभूषण, बैंक ड्राफ्ट और चेक शामिल हैं, ट्रस्ट के अधीन होगा। मंदिर की चल और अचल संपत्तियों का प्रबंधन भी ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा। प्रत्येक वित्तीय वर्ष के पहले महीने में ट्रस्ट एक बैठक आयोजित करेगा। इस बैठक में मंदिर का वार्षिक बजट तैयार और पारित किया जाएगा। ट्रस्ट में कुल 18 सदस्य होंगे, जिनमें 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य शामिल हैं।यह संरचना मंदिर के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी। हालाँकि इस विधेयक को विधानसभा में मंज़ूरी मिल चुकी है, लेकिन बांके बिहारी ट्रस्ट पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक के कारण, इसका क्रियान्वयन न्यायालय के अंतिम निर्णय पर निर्भर है। न्यायालय के निर्णय के बाद ही ट्रस्ट अपना कार्य प्रारंभ कर सकेगा।
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