

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक निर्णय लेखन में गंभीर खामियों के चलते न्यायाधीश डॉ. अमित वर्मा को तीन माह के न्यायिक प्रशिक्षण पर भेजने का आदेश दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
इलाहबाद हाईकोर्ट (सोर्स-इंटरनेट)
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक निर्णय लेखन में गंभीर खामियों के चलते कानपुर नगर के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. अमित वर्मा को तीन माह के न्यायिक प्रशिक्षण पर भेजने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की एकलपीठ ने यह निर्देश श्रीमती मुन्नी देवी बनाम श्रीमती शशिकला पांडेय के मामले की सुनवाई के दौरान दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि डॉ. वर्मा द्वारा पारित आदेशों में निर्णय लेखन की मूलभूत आवश्यकताओं- तर्क, कारण और निष्कर्ष का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। यह न्यायिक प्रक्रिया की गंभीर लापरवाही है और ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित न्यायाधीश को निर्णय लेखन का पर्याप्त अनुभव या प्रशिक्षण नहीं है। इसीलिए कोर्ट ने उन्हें लखनऊ स्थित न्यायिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में तीन माह का विशेष प्रशिक्षण दिए जाने की संस्तुति की है।
आदेशों में दोहराई गई एक ही गलती
याचिकाकर्ता मुन्नी देवी ने बताया कि मकान मालकिन शशिकला पांडेय ने वर्ष 2013 में उनके खिलाफ किराया वसूली और बेदखली का वाद दायर किया था। इस मामले में 29 फरवरी 2024 को फैसला उनके खिलाफ आया। जिसके खिलाफ उन्होंने 7 नवंबर 2024 को पुनरीक्षण याचिका दायर की, लेकिन इस याचिका को अपर जिला जज डॉ. अमित वर्मा ने खारिज कर दिया।
इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और 17 दिसंबर 2024 को कोर्ट ने पाया कि एडीजे का आदेश बिना किसी उचित तर्क और निष्कर्ष के पारित किया गया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने आदेश को रद्द करते हुए मामले की फाइल को नए सिरे से विचार के लिए निचली अदालत को वापस भेज दिया। हालांकि याचिकाकर्ता ने पुनरीक्षण याचिका में कुछ नए तथ्य जोड़कर संशोधन के लिए आवेदन किया तो 1 मार्च 2025 को डॉ. अमित वर्मा ने बिना कोई स्पष्ट कारण बताए याचिका को फिर से खारिज कर दिया। इसके चलते याचिकाकर्ता ने दोबारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि फिर से वही गलती दोहराई गई है।
हाईकोर्ट ने जताई नाराज़गी
इस पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारी द्वारा बार-बार गंभीर गलतियां करना यह दर्शाता है कि उन्हें उचित प्रशिक्षण की जरूरत है। जस्टिस नीरज तिवारी ने टिप्पणी की कि डॉ. अमित वर्मा को आदेश लेखन की बुनियादी समझ नहीं है, जो न्यायिक कर्तव्यों का बुनियादी हिस्सा है।
अन्य जज को सौंपी जाएगी सुनवाई
कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को मुख्य न्यायाधीश से अनुमति लेकर डॉ. वर्मा को तीन माह के प्रशिक्षण के लिए भेजने का निर्देश दिया है। साथ ही जिला जज कानपुर नगर को संबंधित पुनरीक्षण याचिका को किसी अन्य सक्षम न्यायिक अधिकारी के पास स्थानांतरित करने का भी आदेश दिया है।