वायरल वीडियो से मचा हड़कंप, डॉक्टर पर गिरी गाज, जानें पूरा मामला

सोशल मीडिया पर एक रील बनाने की कीमत डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी को अपने पद से हाथ धोकर चुकानी पड़ी। फिलहाल डॉ. त्रिपाठी को पद से हटा दिया गया है और विभागीय जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 8 July 2025, 5:18 PM IST
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Kanpur Dehat News: कानपुर देहात से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। रसूलाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) के अधीक्षक डॉ. पीयूष त्रिपाठी का एक विवादित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन ने उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करते हुए पद से हटा दिया है।

शराब की बोतल और गाने के साथ बनाई थी रील

वायरल वीडियो में डॉ. त्रिपाठी को शराब की बोतल हाथ में पकड़े हुए एक गाने पर अभिनय करते हुए देखा गया। जिसका बैकग्राउंड म्यूज़िक था और इस दिल में क्या रखा है, तेरा ही दर्द छुपा रखा है… वीडियो को देखकर यह प्रतीत होता है कि यह एक रील शूट की गई थी, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई।

CMO ने उठाया सख्त कदम

रील भले ही भावुक अंदाज में बनाई गई हो, लेकिन इसका असर सरकारी सेवा नियमों पर पड़ा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) कानपुर देहात ने इस वीडियो को संज्ञान में लेते हुए डॉ. त्रिपाठी को तत्काल प्रभाव से CHC अधीक्षक के पद से हटा दिया। CMO का बयान था कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते डॉक्टर त्रिपाठी का यह आचरण 'उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956' के विरुद्ध है। इस प्रकार के कृत्य से विभाग की छवि धूमिल हुई है।

सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया

वीडियो वायरल होते ही जनता और स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मियों में भी प्रतिक्रिया तेज हो गई। कई लोगों ने सरकारी डॉक्टर के इस व्यवहार को गंभीर अनुशासनहीनता बताया, वहीं कुछ ने इसे "निजी भावनाओं की अभिव्यक्ति" कहकर डॉक्टर के पक्ष में भी बातें कीं। हालांकि, सरकारी सेवा में अनुशासन और छवि को लेकर सवाल उठने पर कार्रवाई करना प्रशासन की जिम्मेदारी बन गई।

सरकारी सेवा में अनुशासन सर्वोपरि: प्रशासन

CMO कार्यालय ने साफ किया है कि सरकारी सेवा में कार्यरत किसी भी अधिकारी को ऐसा कोई कृत्य नहीं करना चाहिए जिससे विभाग या सरकार की गरिमा पर आंच आए। इस मामले को शासन स्तर पर भी भेजा गया है और आगे उच्चाधिकारियों द्वारा निर्णय लिया जाएगा कि डॉ. त्रिपाठी को अन्य किसी पद पर तैनात किया जाएगा या विभागीय जांच के बाद और कठोर कार्रवाई होगी।

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