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देश की सबसे बड़ी खबर उत्तर प्रदेश के झांसी से सामने आयी, जहां 2016 में आईआरएस बनी प्रभा भंडारी प्रशासन की नाक के नीचे रिश्वतखोरी का गोरखधंधा चला रही थी। नए साल की पूर्व संध्या पर हुई इस कार्रवाई ने पूरे विभाग में हड़कंप मचा दिया है। सीबीआई ने एक आईआरएस (IRS) अधिकारी, दो अधीक्षकों, एक वकील और एक निजी कंपनी के मालिक सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
आईआरएस से बरामद कैश
New Delhi: आज देश की सबसे बड़ी खबर उत्तर प्रदेश के झांसी से सामने आयी, जहां 2016 में आईआरएस बनी प्रभा भंडारी प्रशासन की नाक के नीचे रिश्वतखोरी का गोरखधंधा चला रही थी। नए साल की पूर्व संध्या पर हुई इस कार्रवाई ने पूरे विभाग में हड़कंप मचा दिया है। सीबीआई ने एक आईआरएस (IRS) अधिकारी, दो अधीक्षकों, एक वकील और एक निजी कंपनी के मालिक सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
मामले की शुरुआत जीएसटी चोरी (GST Evasion) की फाइलों को रफा-दफा करने के नाम पर हुई थी। आरोप है कि झांसी CGST में तैनात डिप्टी कमिश्नर प्रभा भंडारी (IRS 2016) ने निजी फर्मों को अनुचित लाभ पहुंचाने के बदले ₹1.5 करोड़ की भारी-भरकम रिश्वत की मांग की थी। सीबीआई ने जाल बिछाया और डिप्टी कमिश्नर के कहने पर ₹70 लाख की पहली किस्त स्वीकार करते हुए दो अधीक्षकों—अनिल तिवारी और अजय कुमार शर्मा को रंगे हाथों धर दबोचा। इसके तुरंत बाद सीबीआई ने गिरोह के अन्य सदस्यों पर भी शिकंजा कस दिया। अन्य मुल्जिमों में राजू मंगतानी मालिक, मैसर्स जय दुर्गा हार्डवेयर (निजी व्यक्ति)। और नरेश कुमार गुप्ता अधिवक्ता (बिचौलिये की भूमिका में) शामिल हैं।
70 लाख की रिश्वत! CBI ने झांसी CGST डिप्टी कमिश्नर प्रभा भंडारी समेत पांच गिरफ्तार
गिरफ्तारी के बाद आरोपियों के ठिकानों पर की गई छापेमारी में सीबीआई को 'कुबेर का खजाना' हाथ लगा है। अब तक की तलाशी में लगभग ₹1.60 करोड़ नकद बरामद किए जा चुके हैं (ट्रैप राशि सहित)। इसके अलावा भारी मात्रा में सोने के आभूषण, बुलियन (सोने की ईंटें) और कई संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। छापेमारी अभी भी जारी है, जिससे रिकवरी का आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है।
सीबीआई के ट्रैप के दौरान जिन दो सुपरिंटेंडेंट को 70 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है, यह रकम डिप्टी कमिश्नर के कहने पर ली जा रही थी। सीबीआई का कहना है कि सभी आरोपियों को मेडिकल जांच के बाद अदालत में पेश किया जाएगा। इस कार्रवाई से एक बार फिर सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े हो गए हैं।