New Delhi: भारत का चुनाव आयोग हर वर्ष मतदाता सूची (Electoral Roll) का पुनरीक्षण करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश का कोई भी पात्र नागरिक वोट देने के अधिकार से वंचित न रहे। लेकिन इस बार आयोग ने इसे एक विशेष अभियान के रूप में शुरू किया है- Special Intensive Revision 2.0, यानी ऐसा पुनरीक्षण जो सामान्य वार्षिक प्रक्रिया से कहीं अधिक व्यापक, गहन और तकनीकी रूप से उन्नत होगा।
वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने अपने चर्चित शो The MTA Speaks में SIR 2.0 को लेकर सटीक विश्लेषण किया।
यह सिर्फ एक सरकारी औपचारिकता नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जड़ को सींचने वाला सबसे बड़ा नागरिक अभ्यास है- क्योंकि इसका सीधा संबंध आपके वोट के अधिकार से है। अब सवाल उठता है- आखिर यह SIR है क्या, क्यों शुरू किया गया है, कब और कहाँ लागू होगा, और इसमें आम मतदाता को क्या करना होगा? आइए, शुरुआत से समझते हैं…
चुनाव आयोग हर साल मतदाता सूची यानी Electoral Roll का पुनरीक्षण करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश का हर पात्र नागरिक वोट देने के अधिकार से वंचित न रहे। इस बार आयोग ने इसे विशेष अभियान के रूप में लागू करने का फैसला किया है- Special Intensive Revision 2.0, यानी ऐसा पुनरीक्षण जो सामान्य वार्षिक अभ्यास से कहीं अधिक व्यापक, विस्तृत और गहन होगा। इस बार के SIR 2.0 का उद्देश्य है- मृत, स्थानांतरित और डुप्लीकेट वोटरों को हटाना और 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए युवाओं को मतदाता सूची में शामिल करना।
मतदाता सूची के इस विशेष सघन पुनरीक्षण का दूसरा चरण 28 अक्टूबर 2025 से शुरू हो गया है। यह प्रक्रिया 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एक साथ चलाई जा रही है। इनमें शामिल हैं- अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुड्डचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल।
देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने दिल्ली के विज्ञान भवन में पत्रकारों को बताया कि पहला चरण बिहार में सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है। अब दूसरे चरण यानी SIR 2.0 के तहत इन राज्यों में मतदाता सूची की घर-घर जाकर जांच की जाएगी। यह आज़ादी के बाद देश का नौवां विशेष पुनरीक्षण अभियान है। 1951 से 2004 के बीच आठ बार SIR हो चुके हैं, जबकि आखिरी बार यह प्रक्रिया 2002 से 2004 के बीच संपन्न हुई थी।
चुनाव आयोग के अनुसार, 28 अक्टूबर 2025 से शुरू होकर 7 फरवरी 2026 तक यह प्रक्रिया चलेगी, और अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
आम मतदाता को क्या करना होगा?
अगर आपकी उम्र 1 जनवरी 2026 तक 18 वर्ष या उससे अधिक हो जाती है, तो आप SIR के दौरान नया वोटर पंजीकरण करा सकते हैं। अगर पहले से आपका नाम सूची में है, लेकिन पता या अन्य विवरण गलत है, तो आप सुधार के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि किसी मृतक या दूसरे स्थान पर स्थानांतरित व्यक्ति का नाम अब भी आपके क्षेत्र की सूची में है, तो आप उसकी आपत्ति या नाम हटाने के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
फार्म कैसे भरे जाएंगे?
- मतदाता सूची में नया नाम जोड़ने के लिए Form 6,नाम या अन्य विवरण सुधारने के लिए Form 8,
- और मृतक या डुप्लीकेट नाम हटाने के लिए Form 7 भरना होगा।
इन फार्म्स को भरने के तरीके
- पहला, ऑनलाइन, चुनाव आयोग की वेबसाइट या “Voter Helpline App” के जरिए।
- दूसरा, ऑफलाइन, अपने Booth Level Officer (BLO) को सीधे देकर।
- और तीसरा, स्पेशल कैंप्स में जाकर, जो हर विधानसभा क्षेत्र में निर्धारित तिथियों पर लगाए जाएंगे।
- BLO यानी बूथ स्तर अधिकारी SIR के दौरान मतदाताओं तक खुद पहुंचेंगे।
- आयोग के अनुसार, 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक BLO तीन बार घर-घर जाकर यह प्रक्रिया पूरी करेंगे।
- इस दौरान वे घरों में जाकर जानकारी जुटाएंगे- कौन परिवार इस पते पर रहता है, कौन बाहर चला गया है, और कौन नया पात्र मतदाता बना है।
- SIR 2.0 के दौरान एक और बड़ा बदलाव यह है कि अब नागरिकों को BLO के पास जाने की जरूरत नहीं है; BLO स्वयं तय समय में आपके घर आएंगे।
- हालांकि, जो नागरिक ऑनलाइन फार्म भरेंगे, उन्हें घर पर रहने की जरूरत नहीं होगी।
- अगर किसी कारणवश कोई व्यक्ति BLO से नहीं मिल पाता, तो उसके लिए भी प्रावधान है- 9 दिसंबर 2025 से 8 जनवरी 2026 तक दावे और आपत्तियाँ दाखिल की जा सकेंगी।
जानिए कौन-कौन से दस्तावेज मान्य होंगे?
SIR 2.0 में निम्न दस्तावेज़ों को पहचान और पते के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया गया है-
- केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी पेंशन पेमेंट ऑर्डर,
- सरकारी या स्थानीय निकाय, बैंक, डाकघर या एलआईसी द्वारा जारी प्रमाणपत्र,
- जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, फॉरेस्ट राइट सर्टिफिकेट, जाति प्रमाण पत्र, NRC, फैमिली रजिस्टर, भूमि या मकान आवंटन प्रमाणपत्र आदि।
- वोटर आईडी और आधार कार्ड को केवल पहचान प्रमाण के रूप में माना जाएगा, लेकिन निवास साबित करने के लिए ऊपर बताए गए दस्तावेजों में से एक जरूरी होगा।
- अब सवाल आता है- जमीन पर यह पूरी प्रक्रिया कैसे चलेगी?
- SIR 2.0 का नेतृत्व हर राज्य में मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) करेंगे।
- हर जिला कलेक्टर को जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) के रूप में जिम्मेदारी दी गई है।
- हर विधानसभा क्षेत्र में AERO (Assistant Electoral Registration Officer) और उसके अधीन दर्जनों BLO काम करेंगे।
- BLO घर-घर जाकर सूची का सत्यापन करेंगे, पुराने रिकॉर्ड की तुलना करेंगे और डेटा को डिजिटल रूप में अपलोड करेंगे।
- यदि किसी दस्तावेज़ पर शंका हो, तो उसकी भौतिक जांच भी की जाएगी।
- इसके बाद ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की जाएगी, जिस पर दावे-आपत्तियाँ ली जाएंगी, और अंततः फाइनल सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित होगी।
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए आयोग ने विशेष व्यवस्थाएँ की हैं।
- गांवों में पंचायत भवन, स्कूल और सामुदायिक केंद्रों पर BLO उपलब्ध रहेंगे, जबकि शहरों में वार्ड कार्यालयों और सरकारी स्कूलों में “Electoral Facilitation Counters” बनाए गए हैं।
- कई राज्यों में मोबाइल वैन भी चलाई गई हैं जो कॉलोनी-कॉलोनी जाकर फार्म भरवाती हैं।
- कृषि परिवारों, मजदूरों और प्रवासी श्रमिकों के लिए BLO पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान के साथ मिलकर घर-घर जाकर पंजीकरण कराएंगे।
- ग्रामीण नागरिक अपने आधार, राशन कार्ड या बैंक पासबुक से पहचान साबित कर सकेंगे।
इस पूरी प्रक्रिया के क्या फायदे हैं?
- पहला, इससे मतदाता सूची अधिक सटीक और अद्यतन होगी। अब “मेरा नाम गायब है” या “पता गलत लिखा है” जैसी शिकायतें काफी हद तक खत्म होंगी।
- दूसरा, फर्जी वोटिंग पर रोक लगेगी क्योंकि मृतक और दोहरे नाम हटाए जाएंगे।
- तीसरा, नए मतदाताओं का जुड़ना यानी युवाओं को पहली बार अपने लोकतांत्रिक अधिकार के इस्तेमाल का अवसर मिलेगा।
- चौथा, प्रशासनिक सुविधा- बूथवार सही मतदाता सूची से चुनावी संसाधनों का बेहतर बंटवारा हो सकेगा।
- पांचवां, सबसे अहम- लोकतंत्र की मजबूती, क्योंकि सटीक मतदाता सूची ही पारदर्शी चुनावों की बुनियाद है, लेकिन हर प्रक्रिया के साथ कुछ चुनौतियां भी होती हैं।
SIR 2.0 में भी संभावित कठिनाइयाँ ?
- कभी-कभी ऑनलाइन पोर्टल या ऐप में तकनीकी गड़बड़ी आ जाती है, जिससे आवेदन अधूरे रह जाते हैं।
- BLO की संख्या सीमित होने से कुछ दूरदराज के क्षेत्रों में कवरेज मुश्किल हो सकती है।
- कुछ नागरिकों को इस अभियान की जानकारी ही नहीं होती, जिससे उनके नाम सूची से छूट सकते हैं।
- इसके अलावा, विपक्षी दलों ने यह भी कहा है कि इतनी बड़ी प्रक्रिया को कम समय में पूरा करना कठिन होगा।
- कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ग्रामीण इलाकों में दस्तावेजों की कमी के कारण कुछ गरीब और प्रवासी मतदाता वंचित रह सकते हैं।
- हालांकि, चुनाव आयोग का स्पष्ट आश्वासन है कि किसी भी पात्र नागरिक का नाम सूची से छूटने नहीं दिया जाएगा, और प्रत्येक पात्र व्यक्ति को तीन अवसर दिए जाएंगे — BLO द्वारा तीन बार विजिट, ऑनलाइन आवेदन, और दावा-आपत्ति का मौका।
समर्थन और विरोध की बात
- चुनाव आयोग, नागरिक समाज, युवा संगठन और पारदर्शिता समर्थक समूह SIR 2.0 का स्वागत कर रहे हैं।
- उनका कहना है कि यह अभियान मतदाता सूची को पूरी तरह सटीक बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
- वहीं, कुछ राजनीतिक दलों ने चेतावनी दी है कि प्रशासनिक तैयारी और जनजागरूकता दोनों में और मजबूती लाने की जरूरत है।
नागरिकों के लिए जरूरी सावधानी
- अपने नाम की स्थिति चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जांचें।
- अगर नाम नहीं है या कोई गलती है, तो तुरंत फॉर्म भरें। BLO या CEO के हेल्पलाइन नंबर से जानकारी लें।
- अपने दस्तावेज तैयार रखें- विशेषकर आधार, पते का प्रमाण और पासपोर्ट साइज फोटो।
- और जब ड्राफ्ट सूची जारी हो, तो उसे जरूर जांचें ताकि कोई त्रुटि रह न जाए।
- निष्कर्ष रूप में कहा जाए तो Special Intensive Revision 2.0 यानी SIR 2.0, आने वाले आम चुनाव से पहले देश की सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक कवायद है।
- यह केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि हर भारतीय नागरिक अपनी आवाज़ वोट के माध्यम से दर्ज करा सके।
- इसलिए ज़रूरी है कि हर नागरिक जागरूक रहे, अपने दस्तावेज समय पर तैयार करे और BLO या ऑनलाइन माध्यम से अपना नाम पक्का कराए।
- क्योंकि सही और अद्यतन मतदाता सूची ही लोकतंत्र का पहला कदम है।
- अगर सूची साफ होगी, तो चुनाव पारदर्शी होंगे- और पारदर्शी चुनाव ही देश की लोकतांत्रिक आत्मा को मजबूत करते हैं।

