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चीन की Zhejiang University ने ‘डार्विन मंकी’ नामक एक न्यूरोमोर्फिक कंप्यूटर विकसित किया है जो इंसानी दिमाग की तरह काम करता है। इसमें 20 अरब से अधिक आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स हैं और यह ऊर्जा कुशल होने के साथ-साथ मेडिकल रिसर्च और AI के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
न्यूरोमोर्फिक कंप्यूटर (Img: Google)
New Delhi: तकनीक की दुनिया में चीन ने एक नया इतिहास रच दिया है। Zhejiang University के वैज्ञानिकों ने ऐसा कंप्यूटर विकसित किया है, जो केवल मशीन नहीं बल्कि इंसानी दिमाग की कार्यप्रणाली को आत्मसात किए हुए है। इस अनोखे कंप्यूटर को नाम दिया गया है ‘डार्विन मंकी’ (Darwin Monkey), जो कि न्यूरोमोर्फिक कंप्यूटिंग की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।
क्या है ‘डार्विन मंकी’?
‘डार्विन मंकी’ एक ऐसा कंप्यूटर है जिसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वह सोचने, सीखने, समझने और निर्णय लेने की क्षमताएं प्रदर्शित कर सके ठीक वैसे ही जैसे इंसानी मस्तिष्क करता है। इसे 960 डार्विन-3 चिप्स से तैयार किया गया है और इसमें 20 अरब से ज्यादा आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स हैं। यह प्रणाली 100 अरब से अधिक सिनैप्स (Synapses) उत्पन्न कर सकती है, जो न्यूरॉन्स के बीच संचार को संभव बनाते हैं।
डार्विन मंकी की प्रमुख विशेषताएं
ऊर्जा की कम खपत
डार्विन मंकी को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह केवल 2000 वॉट बिजली में काम कर सके। यह न केवल ऊर्जा दक्ष है बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी किफायती समाधान है।
रीजनिंग और गणितीय क्षमताएं
इस कंप्यूटर की सबसे बड़ी ताकत इसकी लॉजिकल रीजनिंग और गणितीय समस्याओं को हल करने की क्षमता है। इससे AI सिस्टम को अधिक बुद्धिमान और निर्णयक्षम बनाया जा सकता है।
जानवरों के मस्तिष्क का सटीक सिमुलेशन
डार्विन मंकी इंसानों के अलावा मैकाक बंदर, चूहे और जेब्राफिश जैसे जीवों के दिमाग की संरचना और काम को भी सटीक रूप से सिमुलेट कर सकता है। यह न्यूरोसाइंस और ब्रेन रिसर्च के लिए वरदान साबित हो सकता है।
स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क तकनीक
इसमें उपयोग की गई स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क (SNN) तकनीक इंसानी मस्तिष्क के बायोलॉजिकल न्यूरॉन्स की नकल करती है। इससे कंप्यूटर को सीखने, याद रखने और सोचने की क्षमता मिलती है।
पुराने मॉडल से कई गुना एडवांस
Zhejiang University ने इससे पहले 2020 में ‘डार्विन माउस’ नामक कंप्यूटर तैयार किया था, जिसमें 12 करोड़ आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स थे। लेकिन ‘डार्विन मंकी’ एक अपग्रेडेड वर्जन है, जिसमें न सिर्फ न्यूरॉन्स की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है, बल्कि प्रोसेसिंग स्पीड, चिप डिजाइन और ऑपरेटिंग सिस्टम में भी उन्नति की गई है।
कहाँ होगा इसका उपयोग?
‘डार्विन मंकी’ का उपयोग केवल AI के विकास तक सीमित नहीं रहेगा। इसका इस्तेमाल रोबोटिक्स, मेडिकल रिसर्च, ब्रेन सिमुलेशन, डेटा प्रोसेसिंग और दवा विकास जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किया जा सकेगा।
Zhejiang University के प्रोफेसर पैन गांग के अनुसार, "यह कंप्यूटर आने वाले वर्षों में कंप्यूटिंग की पूरी दिशा को बदल सकता है और इंसानी दिमाग की गहराई को समझने में मददगार साबित हो सकता है।"