

आज पूरे विश्व में हनुमान जी की जयंती मनाई जा रही है। हनुमान जी की काफी सारी कहानियां हैं। इसमें से एक कहानी बजरंगबली से जुड़ी है। आखिर उनका नाम बजरंगबली क्यों पड़ा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में हनुमान जी को सबसे शक्तिशाली और भक्तवत्सल देवता के रूप में पूजा जाता है। वे सात चिरंजीवियों में से एक हैं, यानी वे अनंतकाल तक इस पृथ्वी पर विद्यमान रहेंगे। मान्यता है कि जहां भी प्रभु श्रीराम का नाम लिया जाता है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, जहां सच्चे मन से हनुमान जी की भक्ति होती है। वहां वे स्वयं किसी न किसी रूप में उपस्थित हो जाते हैं।
12 अप्रैल यानी आज पूरे देश में हनुमान जन्मोत्सव की भव्य धूम देखने को मिल रही है। मंदिरों में भजन-कीर्तन से लेकर श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। इस खास मौके पर आइए जानते हैं कि आखिर क्यों हनुमान जी को ‘बजरंगबली’ कहा जाता है और इस नाम के पीछे क्या गहरा रहस्य छिपा है।
क्यों कहा जाता है हनुमान जी को ‘बजरंगबली’
हनुमान जी के कई नाम हैं- संकटमोचन, अंजनी सुत, वायुपुत्र, पवनपुत्र, मारुति नंदन और बजरंगबली। लेकिन ‘बजरंगबली’ नाम उनकी शक्ति और अभेद्य शरीर की कहानी बयां करता है। ‘बजरंग’ शब्द ‘वज्र’ और ‘अंग’ से मिलकर बना है। ‘वज्र’ का अर्थ है ऐसा अस्त्र जो अजेय और अटूट हो। मान्यता है कि देवताओं के राजा इंद्र के पास जो वज्र अस्त्र था, वह किसी भी चीज़ को काट सकता था। हनुमान जी का शरीर भी इसी वज्र की तरह मजबूत था। चाहे कोई दिव्य अस्त्र हो या सांसारिक हथियार, हनुमान जी पर उसका कोई असर नहीं पड़ता था।
‘बली’ शब्द उनके अतुलनीय बल और शारीरिक सामर्थ्य का प्रतीक है। कहा जाता है कि उन्होंने अपने बचपन में ही सूर्य को फल समझकर निगल लिया था। रामायण काल में उन्होंने लंका दहन कर रावण के अशोक वाटिका को जलाकर राख कर दिया था। यही कारण है कि उन्हें ‘बजरंगबली’ यानी वज्र जैसा अंग और अतुलनीय बल वाला देवता कहा जाता है।
भक्तों पर असीम कृपा बरसाने वाले ‘संकटमोचन’
हनुमान जी सिर्फ शक्ति के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे करुणा और भक्ति का भी सजीव उदाहरण हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से संकट के समय हनुमान जी को याद करता है, उनकी हर समस्या स्वयं प्रभु हनुमान दूर करते हैं। यह भी विश्वास किया जाता है कि उनके नाम का स्मरण करने मात्र से भय समाप्त हो जाता है और मन में स्थिरता का अनुभव होता है। यही वजह है कि आज भी हर संकट की घड़ी में सबसे पहले ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ और ‘जय बजरंगबली’ का उद्घोष होता है।
हनुमान जी की उपासना से जुड़ी मान्यता
हनुमान जी की भक्ति करने वालों का यह दृढ़ विश्वास है कि वे अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं और जीवन के हर संकट से उबार लेते हैं। यही कारण है कि वे न केवल भक्तों के संकटहरण कहलाते हैं, बल्कि उनके नाम से ही आत्मबल और आत्मविश्वास का संचार होता है।