छठ पर्व पर खरना का क्या महत्व है? जानिये सब कुछ....
आज छठ पर्व का दूसरा दिन खरना है। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे क्या है खरना और इसका महत्व।
नई दिल्ली: आज छठ पूजा का दूसरा दिन है। दूसरे दिन की शुरुआत खरना से होती है। छठ चार दिन तक चलता है। चारों दिन का अलग-अलग महत्व होता है। 6 नवंबर आज बुधवार को खरना मनाया जा रहा है। खरना का विशेष महत्व हैं। इस दिन छठ का विशेष प्रसाद बनाया जाता है।
क्या है खरना ?
खरना के दिन शाम से लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। रोटी, गुड़ की खीर और फलों का भोग लगाया जाता है। खरना वाले दिन भगवान का विशेष प्रसाद व्रत रखने वाले ही तैयार करते हैं। फिर शाम के समय भगवान को अर्पित करने के बाद उसे ग्रहण करते हैं। खरना से जो उपवास शुरू होता है वह सप्तमी तिथि के दिन अर्घ्य देने के साथ ही समाप्त हो जाता है।
यह भी पढ़ें |
Ballia: नदी, तालाब, सरोवर के पानी में लाखों व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य
क्या हैं खरना के नियम?
खरना वाले दिन मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाई जाती है। खीर बनाने के लिये पीतल के बर्तन का प्रयोग किया जाता है। इसके लिये मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग किया जाता है। गुड़ की अन्य मिठाई ठेकुआ और लड्डू भी बनाये जाते हैं। खीर सिर्फ व्रती इंसान ही बनाता है। पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम के समय व्रती इसी गुड़ की खीर का सेवन करते हैं। शाम के समय व्रत रखने वाला व्यक्ति कमरा बंद करके ही खीर का सेवन करता है। इसके बाद पूरा परिवार व्रती व्यक्ति से आशीर्वाद लेता है।
सुहागन महिलाएं व्रती महिलाओं से सिंदूर लगवाती हैं। शाम को केले के पत्ते पर खीर के कई भाग किये जाते हैं। इस पर अलग-अलग देवी देवताओं, छठ मैय्या और सूर्य देव का हिस्सा निकाला जाता है। फिर इसके बाद केला, दूध, बाकी पकवान भी उसके ऊपर रख दिये जाते हैं। अंत में छठी मैया का ध्यान करते हुए अर्पित करने के बाद व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं।
यह भी पढ़ें |
Maharajganj: जिलाधिकारी अनुनय झा ने परिवार संग की पूजा, उगते सूर्य को दिया अर्घ्य