Vishwakarma Puja 2022: महराजगंज जिले में धूमधाम से मनाई गई भगवान विश्वकर्मा जयंती, वैदिक रीति से हुई पूजा-अर्चना

विश्वकर्मा जयंती के मौके पर महराजगंज जिले में लोगों ने धूमधाम से भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की। पूरे जिले में लोगों ने अलग-अलग तरीके से भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की। साथ ही अपने औजारों को भी पूजा की। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 17 September 2022, 5:38 PM IST
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महराजगंज: जिले में अलग-अलग स्थानों पर आदि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती धूमधाम से मनाई गई। विश्वकर्मा पूजा के मौके पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की गई। जगह-जगह भगवान विश्वकर्मा की भव्य झांकियां भी सजाई गईं।

डाइनामाइट न्यूज़ के महराजगंज संवाददाता के मुताबिक नगर के पिपरदेउरा में भगवान विश्वकर्मा मंदिर में भी शनिवार को विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से मनाई गई। इसके अलावा बिजली विभाग के बैकुंठपुर में भी भगवान विश्वकर्मा का पूजा पाठ किया गया। औद्योगिक प्रतिष्ठानों, दुकानों, लोक निर्माण विभाग, राइस मिलो, फ्लोर मिलों में आदि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की श्रद्धालुओं ने हवन-पूजन कर आरती की। इसके बाद भजन-कीर्तन कर प्रसाद वितरण किया गया।

अभियंताओं ने भी की पूजा

कुछ कार्यालयों में अभियंताओं ने भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की। कुछ के संस्थानों के इंजीनियरिंग कार्यशाला में भी भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से पूजन अर्चना की गई।

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इन जगहों पर हुई पूजा

धानी संवाददाता के अनुसार क्षेत्र में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापना के साथ-साथ औजारों की विशेष रूप से पूजा की गई। धानी क्षेत्र में मोटरसाइकिल की दुकानों में भी पूजा अर्चना की गई।

फरेंदा, पुरंदरपुर, बृजमनगंज, कोल्हुई, लक्ष्मीपुर, अड्डा बाजार, सिसवा बाजार, निचलौल, परतावल, पनियरा, ठूठीबारी संवाददाता के अनुसार आदि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती के अवसर पर वैदिक रीति-रिवाज से पूजा अर्चना की गई। लोगों ने अपने-अपने कल कारखानों में हवन आदि भी किए। कई स्थानों पर भव्य झाकियां सजाई गई। 

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इसलिए होती है भगवान विश्वकर्मा की पूजा

पौराणिक कथाओं के अनुसार सृष्टि सृजन के साज शिल्पी के रूप में वैदिक कालीन समय से प्रतिष्ठित विश्वकर्मा को निर्माण के भगवान का दर्जा प्राप्त है। द्वापर व त्रेता कालीन धर्म ग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा की चर्चा कई जगहों पर आई है। रामकाल में सोने की लंका और जरासंध से राज छोड़ कर भागे भगवान कृष्ण के लिए द्वारिका पुरी के निर्माण का श्रेय भगवान विश्वकर्मा को ही जाता है। ऐसे निर्माण के निर्माता कहे जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की हर साल लोक में इस एक दिन पारंपरिक रूप में आराधना की जाती है।