विश्व हिंदू परिषद ने समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

डीएन ब्यूरो

समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने मंगलवार को कहा कि ‘समलैंगिकों’ को बच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं देने का फैसला भी अच्छा कदम है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

विहिप के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार
विहिप के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार


नयी दिल्ली: समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने मंगलवार को कहा कि ‘समलैंगिकों’ को बच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं देने का फैसला भी अच्छा कदम है।

उच्चतम न्यायालय ने आज समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया जिस पर विहिप की प्रतिक्रिया आई है।

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का अनुरोध करने संबंधी 21 याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई की।

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय कानून नहीं बना सकता, बल्कि उनकी केवल व्याख्या कर सकता है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध विहिप ने एक बयान में कहा, ‘‘विश्व हिंदू परिषद ने समलैंगिक विवाह और दत्तक ग्रहण को कानूनी मान्यता नहीं देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है।’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार विहिप के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, ‘‘हम इस बात से संतुष्ट हैं कि उच्चतम न्यायालय ने हिंदू, मुस्लिम और ईसाई अनुयायियों समेत सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाया है कि दो समलैंगिकों के बीच विवाह के रूप में रिश्ता पंजीकरण योग्य नहीं है। यह उनका मौलिक अधिकार नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं देना भी अच्छा कदम है।’’










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