वाराणसी: मिलिये आधुनिक श्रवण कुमार से, कांवड़ में बैठाकर मां को करा रहे हैं पंचकोशी यात्रा

डीएन संवाददाता

मातृ-पितृ भक्ति के लिये दुनिया भर में चर्चित श्रवण कुमार के बारे में आपने सुना ही होगा। यहां हम काशी के एक ऐसे ही श्रवण कुमार के बारे में बता रहें है, जो अपनी मां को कांवड़ में बैठाकर पंचकोशी यात्रा करा रहे हैं। पूरी खबर..



वाराणसी: माता-पिता की भक्ति के लिये चर्चित श्रवण कुमार के बारे में आपने तो सुना ही होगा। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में भी हमें एक श्रवण कुमार देखने को मिला। आधुनिक युग के यह श्रवण अपनी मां को कावड़ में बैठाकर पंचकोशी यात्रा पर निकले है। यह यात्रा 5 दिनों तक चलेगी। पंचकोशी यात्रा मणिकर्णिका घाट से शुरू होती है और इसका समापन कपिलधारा में पूजा पाठ से किया जाता है।

चौक थाना के पक्के माहल के रहने वाले तीन भाइयों में विशेष मिश्र, शंकर मिश्र, समीर मिश्र में शिवेश दूसरे नंबर पर है। काशी का आधुनिक श्रवण विशेष मिश्र अपनी माता को पंचकोशी यात्रा पर निकले है, जिसका फल भी चार धाम यात्रा के बराबर मिलता है।

5 कोस की यात्रा पर मां को ले जाने वाले विशेष मिश्र ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि मेरी मां चल नहीं सकती। पंचकोशी यात्रा नंगे पांव पैदल चलकर की जाती है इसलिये वह मां को कावड़ में बैठाकर पंचकोश करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो माह में 9 महीने गर्भ में रख सकती है, क्या हम उसे पंचकोशी यात्रा नहीं करा सकते?

7 साल की उम्र से ही पंचकोशी पदयात्रा करने वाले इस माँ के लाल ने अपने माता की इच्छा पूरी करने के लिए कावड़ (पालकी) अपने हाथों से ही बनाकर माँ को पंचकोशी परिक्रमा पूरा करने का संकल्प लिया है। इस संकल्प के लिये वह मां को कांवड़ पर बैठाकर उबड़-खाबड़ रास्तों पर नंगे पांव चलते हैं।
 










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