Vaccination in Pregnancy: जन्म के 6 माह तक शिशु की ऐसे करें सुरक्षा, गंभीर बीमारी और कोविड​​​​-19 का खतरा होगा कम

डीएन ब्यूरो

महामारी के शुरुआती दिनों से ही यह स्पष्ट हो गया था कि गर्भावस्था में कोविड-19 संक्रमण गंभीर हो सकता है। दुनिया भर के सैकड़ों अध्ययनों से लगातार पता चलता रहा कि गर्भावस्था के दौरान कोविड ​​​​-19 का संक्रमण होने पर अन्य कोविड​​-19 रोगियों की तुलना में गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू)में भर्ती होने, इनवेसिव वेंटिलेशन, प्रीक्लेम्पसिया और मृत्यु का काफी अधिक जोखिम रहता है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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टोरंटो: महामारी के शुरुआती दिनों से ही यह स्पष्ट हो गया था कि गर्भावस्था में कोविड-19 संक्रमण गंभीर हो सकता है। दुनिया भर के सैकड़ों अध्ययनों से लगातार पता चलता रहा कि गर्भावस्था के दौरान कोविड ​​​​-19 का संक्रमण होने पर अन्य कोविड​​-19 रोगियों की तुलना में गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू)में भर्ती होने, इनवेसिव वेंटिलेशन, प्रीक्लेम्पसिया और मृत्यु का काफी अधिक जोखिम रहता है।

आंकड़े बताते हैं कि गर्भावस्था में कोविड ​​​​-19 संक्रमण के कारण आईसीयू में प्रवेश का पांच गुना अधिक जोखिम और मातृ मृत्यु का 22 गुना अधिक जोखिम है। भ्रूण के लिए भी काफी जोखिम हैं, जिनमें समय से पहले प्रसव, जन्म के समय कम वजन के साथ-साथ मृत शिशु का जन्म और नवजात की मृत्यु जैसे गंभीर परिणाम शामिल हैं।

अध्ययनों से पता चला है और इसमें ज्यादा आश्चर्य की बात नहीं है कि मृत शिशु जन्म और नवजात मृत्यु मुख्य रूप से उन लोगों में हुई जिन्हें संक्रमण के समय सार्स-कोव-2 के खिलाफ टीका नहीं लगाया गया था। इसी अध्ययन से यह भी पता चला है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण गर्भावस्था में अस्पताल में भर्ती होने वाले 90 प्रतिशत और गंभीर देखभाल वाले अस्पताल में भर्ती होने वाले 98 प्रतिशत लोग भी बिना टीकाकरण वाले थे।

गर्भावस्था में कोविड-19 टीकों की सुरक्षा

एक विज्ञान संचारक और डॉक्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ छात्र के रूप में, मेरा बहुत सारा काम विशेष रूप से टीके की झिझक को समझने पर केंद्रित है। गर्भावस्था में कोविड ​​​​-19 संक्रमण के जोखिमों पर भारी डेटा के बावजूद, कई लोग सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए अभी भी टीका लगवाने से हिचक रहे हैं।

अब हमारे पास व्यापक सबूत हैं जो दिखाते हैं कि गर्भावस्था में किसी भी समय दिए जाने पर कोविड-19 टीकाकरण सुरक्षित है।

विश्व स्तर पर, कई मेटा-विश्लेषणों ने पुष्टि की है कि गर्भवती महिला या शिशु में प्रतिकूल परिणामों के उच्च जोखिम का कोई सबूत नहीं है। गर्भावस्था में दिए गए कोविड ​​​​-19 वैक्सीन के साथ गर्भपात, समय से पहले प्रसव, प्लेसेंटल एबॉर्शन, प्रसवोत्तर रक्तस्राव, मातृ मृत्यु, जन्म के समय कम वजन या नवजात के गहन देखभाल इकाई में प्रवेश जैसा कुछ नहीं पाया गया।

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वास्तव में, इनमें से अधिकांश अध्ययनों में पाया गया कि टीकाकरण ने सकारात्मक स्वास्थ्य परिणाम पेश किए: जिन लोगों को टीका लगाया गया था, उनमें मृत शिशु जन्म, समय से पहले जन्म और नवजात गहन देखभाल इकाई में प्रवेश का जोखिम कम था और अप्गार स्कोर अधिक अनुकूल था।

प्लेसेंटा में एंटीबॉडी के स्थानांतरण से शिशुओं की सुरक्षा कई अध्ययनों ने मातृ टीकाकरण के बाद गर्भनाल रक्त में सार्स-कोव-2 एंटीबॉडी की उपस्थिति का दस्तावेजीकरण किया है। यह पुष्टि करता है कि टीकाकरण का एक अतिरिक्त लाभ है, सार्स-कोव-2 आईजीजी एंटीबॉडीज - जो रक्त में पाए जाने वाले सबसे आम प्रकार के एंटीबॉडी हैं, और संक्रमण से बचाते हैं - मां से भ्रूण तक प्लेसेंटा में स्थानांतरित होते हैं, खासकर जब टीकाकरण गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में होता है।

हालाँकि, हाल तक यह अज्ञात था कि क्या गर्भावस्था में टीकाकरण कार्यात्मक एंटीबॉडी उत्पन्न करता है, जिनका जन्म के बाद शिशु में पता लगाया जा सकता है और यदि ऐसा होता है, तो क्या वे शिशु को कोविड​​-19 संक्रमण या संक्रमण से गंभीर बीमारी से सुरक्षा के संदर्भ में कोई लाभ प्रदान करते हैं।

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि भ्रूण में स्थानांतरित ये आईजीजी एंटीबॉडी जन्म के बाद कई महीनों तक बच्चे में रह सकते हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि टीका लगाने वाली माताओं से पैदा हुए 57 प्रतिशत शिशुओं में छह महीने में पता लगाने योग्य एंटीबॉडी थे।

रुग्णता और मृत्यु दर साप्ताहिक रिपोर्ट (एमएमडब्ल्यूआर) में प्रकाशित रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान कोविड​​​​-19 एमआरएनए टीकाकरण छह माह से कम आयु वर्ग के शिशुओं में कोविड ​​​​-19 संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में 61 प्रतिशत प्रभावी था।

ओंटारियो से हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में गर्भावस्था में एमआरएनए कोविड ​​​​-19 टीकाकरण करवाने वाली माताओं के छह महीने से कम उम्र के शिशुओं में डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ प्रभावशीलता का आकलन किया गया।

अध्ययन में पाया गया कि जिन मांओं ने दोनो टीके लगवाए थे उनके शिशुओं की कोविड संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने के खिलाफ प्रभावशीलता डेल्टा संस्करण के लिए 97 प्रतिशत और ओमिक्रॉन के लिए 53 प्रतिशत थी। शिशु ओमीक्रॉन संक्रमण के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता जीवन के पहले आठ हफ्तों में सबसे अधिक पाई गई, लेकिन फिर चरणबद्ध तरीके से गिरावट आई।

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बच्चों में कोविड-19 से संबंधित संक्रमण आम तौर पर हल्के होते हैं, इसमें काफी परिवर्तनशीलता होती है और बहुत कम बच्चों को मध्यम या गंभीर बीमारी होती है।

वैसे छह महीने से कम उम्र के बच्चों में अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु सहित कोविड ​​​​-19 संक्रमण से जुड़े गंभीर परिणामों का जोखिम सबसे अधिक होता है।

गर्भावस्था में एक कोविड-19 बूस्टर के लाभ

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गर्भावस्था के दौरान एक कोविड-19 बूस्टर की सिफारिश की थी यदि आखिरी खुराक छह महीने पहले ली गई हो।

यह बिल्कुल स्पष्ट है कि गर्भावस्था में कोविड-19 संक्रमण होने पर गर्भवती महिला और भ्रूण को काफी खतरा होता है। गर्भवती महिला में गंभीर बीमारी को रोकने में कोविड-19 टीकाकरण की उच्च प्रभावकारिता के साथ-साथ शिशु के लिए महत्वपूर्ण लाभों को देखते हुए, गर्भावस्थाओं में नियमित रूप से कोविड-19 बूस्टर की सिफारिश करने के लिए एक मजबूत और साक्ष्य आधारित संकेत है, खास तौर से यदि अंतिम खुराक छह महीने से अधिक पहले ली गई हो।

अतिरिक्त बूस्टर की सिफारिश करने से परिवारों को महामारी के चौथे वर्ष में अपनी और अपने बच्चों की सुरक्षा करने का बेहतर अवसर मिलेगा। हमारे पास एक ऐसा उपाय है जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर सार्थक प्रभाव डालने की क्षमता रखता है। तो मेरा सवाल है, हम किसका इंतजार कर रहे हैं?










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